छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण की गूंज क्यों? क्या भाजपा के लिए चुनावी ट्रंप कार्ड साबित होगा यह मुद्दा

रायपुर. ढाई करोड़ की आबादी और ओबीसी, आदिवासी बहुल राज्य की छवि रखने वाले छत्तीसगढ़ में इन दिनों धर्मांतरण का मुद्दा जोर शोर से उठाया जा रहा है. प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ना सिर्फ आक्रामक तरीके से धरना प्रदर्शन कर रही है, बल्कि लगातार सरकार के खिलाफ मोर्चा भी खोल रही है. उसका आरोप है कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के मामले बढ़े हैं. लोगों की गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी का फायदा उठाकर सेवा की आड़ में उनका धर्मांतरण कराया जा रहा है. भूपेश बघेल की सरकार दोषियों पर कार्रवाई करने की बजाय आरोपियों को संरक्षण दे रही है.

अब इस मुद्दे पर आर एस एस और अन्य हिंदू दल भी आवाज उठाने लगे हैं. ये संगठन हिंदू समाज के अलग अलग वर्ग को एकजुट कर उन्उहें धर्मांतरण के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं. इसी कोशिश के तहत, 18 सितंबर को राजधानी रायपुर में एक विशाल जन रैली निकाली गई . इस रैली में हिंदू समाज के कई धड़ों ने हिस्सा लिया. सिख, अग्रवाल, साहू, कुर्मी, सेन, सिंधी, उत्कल जैसे समाज प्रमुखों ने भी इसमें हिस्सा लिया. बड़ी संख्या में संत भी शामिल होकर धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाई.

सबने एक सुर में अवैध धर्मांतरण बंद करने की मांग की. संतों ने कहा कि अवैध धर्मांतरण हिंदू समाज पर लगातार प्रहार है. रैली निकालने से पहले राजधानी के लाखे नगर स्थित हिंद स्पोर्टिंग मैदान पर हिंदू सनातन महापंचायत का भी आयोजन किया गया. इसके बाद विशाल रैली निकालकर धर्मांतरण के खिलाफ राज्यपाल को सौंपा गया. राज्यपाल से धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून बनाने की मांग की गई.

क्यों गरमाया है मुद्दा

राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि यह भाजपा की सोची समझी रणनीति है. चुनाव हारने के बाद भाजपा प्रदेश में जमीन तलाश रही है. ढाई साल के कार्यकाल में कांग्रेस ने अब तक ऐसी कोई चूक नहीं की है, जिसे लेकर भाजपा कोई आंदोलन खड़ा कर सके. इसलिए आजमाए मुद्दे पर हाथ आजमाना चाहती है. धर्मांतरण वही आजमाया मुद्दा है.

भाजपा को यह मुद्दा हाथ लगा 7 सितंबर 2021 को. रायपुर के पुरानी बस्ती थाने में कुछ भाजपा कार्यकर्ताओँ ने पुलिस के सामने ही एक पादरी को पीट डाला. ये लोग इस बात से आक्रोशित थे कि बार बार की शिकायत के बाद इलाके में अवैध धर्मांतरण का प्रयास रुक नहीं रहा है. जब पुलिस ऐसी ही शिकायत पर पादरी और कुछ लोगों को थाने लेकर आई तो उन पर कार्रवाई की बजाये उन्हें थानेदार के कक्ष में बिठाकर उनकी आवभगत की जा रही है. आरोप है कि ईसाई समाज के लोगों ने भाजपा कार्यकर्ताओं को उकसाया.

इस घटना का विस्फोटक नतीजा निकला. करीब एक दर्जन लोगों पर एफआईआर दर्ज कर लिया गया. थानेदार को तुरंत हटा दिया गया. दोपहर की घटना थी. उसी रात रायपुर के एसएसपी अजय यादव का भी ट्रांसफर कर दिया गया. मारपीट के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार तक कर लिया गया. पुलिस ने शुरू में आरोपी पर गैर जमानती धाराएं लगाई थी. देर राद उसमें गैर जमानती धाराएं भी जोड़ दी गई.

अगले दिन एक विडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ. ईसाई समाज के एक प्रमुख आदमी कहता दिखाई दिया कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है. धर्मांतरण हुए हैं और करेंगे भी. धर्मांतरण कराना उनका अधिकार है. ये अधिकार उन्हें संविधान की धारा 25 देती है.अगर उन्हें रोकना है तो पहले संविधान जला दो, फिर मारोगे, पिटगो, वो कुछ नहीं कहेंगे.

भाजपा ने इस मुद्दे को पकड़ लिया. दो दिन के इंतजार के बाद 9 सितंबर को जिला कार्यालय में बैठक हुई और लगातार विरोध का ऐलान कर दिया गया. उसी दिन शाम को भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं ने पुरानी बस्ती थाने जा कर धर्मांतरण को अधिकार बताने वालों पर राजद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग कर दी. 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया. कार्रवाई नहीं होने पर खुद की गिरफ्तारी देने की चेतवानी दे दी.

10 सितंबर की सुबह तक आरोपी पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई. भाजपा नेताओं ने थाने से ही कुछ दूर, बूढातालाब धरना स्थल पर विरोध करने बैठ गए. दोपहर तक बड़ी तादात में कार्यकर्ता जुट गए. दोपहर दो बजे गिरफ्तारी देने थाने की ओर निकले. पुलिस ने पहले से ही 20 फीट उंची, टीन की चादर और बांस बल्लियों के साथ बैरिकेटिंग कर दी थी. उसके आगे 20 पंक्ति में पुलिस बल को तैनात कर दिया गया. भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपनी पूरी ताकत लगा दी. पुलिस की 20 लाइन को ध्वस्त कर बैरिकेटिंग तक पहुंच गए. टीन को हटाने की कोशिश भी की. लेकिन सफल नहीं हो सके.

आंदोलन में पूर्व मंत्री राजेश मूणत और बृजमोहन अग्रवाल भी शामिल थे. बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार पर तीखा हमला किया. कहा- सरकार आग से खेल रही है. धर्मांतरण रोका नहीं गया तो उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. ये विरोध और प्रदर्शन को बस आगाज है. लड़ाई बाकी है. उन्होंने कहा कि आलाकमान के निर्देश पर भूपेश की सरकार दोषियों को संरक्षण दे रही है.

उसके बाद 15 तारीख को फिर से प्रदर्शन हुआ. थानों में जाकर एफआईआर करने के ज्ञापन सौंपे गए. भाजपा इस मुद्दे को लगातार उठा रही है.