भारतीय युवाओं के लिए कोरोना को लेकर जो ट्रेंड सामने आया है, वो चौंकाने वाला है। एक तरह से आंकड़ा युवाओं को चेताने वाला भी है। अब तक युवाओं को सबसे कम प्रभावित मानने वाले ट्रेंड के बीच भारतीय संक्रमित मरीजों के आंकड़ों के विश्लेषण जो पता चला है, वह बताता है कि भारत में कोरोना युवाओं को सबसे ज्यादा चपेट में ले रहा है। जानकारी के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस सबसे ज्यादा युवा और कामकाजी आबादी को अपनी चपेट में ले रहा है.
दरअसल, इंडिया टुडे की डाटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने कोरोना वायरस के कन्फर्म 1,801 मामलों के विश्लेषण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है. आंकड़े बता रहे हैं कि भारत में सबसे ज्यादा युवा आबादी कोरोना वायरस के निशाने पर है. अभी तक इसकी चपेट में आए लोगों में से 60 फीसदी की उम्र 50 साल से कम है.
आंकड़े के मुताबिक, 1,801 कन्फर्म केसों में से 391 यानी 22 फीसदी मरीजों की उम्र 30 से 39 साल के बीच है. इसके बाद 376 यानी 21 फीसदी की उम्र 20 से 29 साल के बीच है, जबकि 17 फीसदी संक्रमित लोगों की उम्र 40 से 49 साल के बीच है.
इसके पहले अन्य देशों जैसे चीन और इटली से आने वाली रिपोर्ट में कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस से प्रभावित होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या वृद्ध लोगों की है. लेकिन भारत में कुल कन्फर्म केसों में से 60 साल या इससे ज्यादा की उम्र वाले मरीजों संख्या सिर्फ 19 फीसदी है और 80 साल से ऊपर की उम्र वाले मात्र 2 फीसदी लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हैं.
एक अप्रैल तक 3 फीसदी यानी 46 केस ऐसे सामने आए थे जिसमें संक्रमित मरीज की उम्र 10 साल से कम है. विशेषज्ञों का मानना है कि युवा लोग अब तक सोच रहे थे कि वे इस रोग से कम प्रभावित होंगे, लेकिन वे गंभीर बीमार पड़ सकते हैं और मौत भी हो सकती है.
जितने मामले अभी तक सामने आए हैं, उनमें उम्र के साथ-साथ लैंगिक तौर पर भी अंतर स्पष्ट दिखाई देता है. आंकड़ों के मुताबिक, 1,801 मामलों में से 73 फीसदी पुरुष हैं जबकि महिलाएं सिर्फ 27 प्रतिशत हैं.
कोरोना वायरस से संक्रमित महिलाओं के मामले में ज्यादातर की उम्र 20 से 29 साल के बीच है. 2 अप्रैल तक इस आयुवर्ग की 110 महिलाओं में संक्रमण की पुष्टि हुई है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि शुरुआत में युवाओं की तुलना में वृद्ध लोगों में मृत्यु दर अधिक हो सकती है. लेकिन युवा आयु का होने का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति खतरे से बाहर है.