चीन में कोरोनावायरस की वजह से मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार की ओर से जारी ताजा जानकारी के मुताबिक अब यह आंकड़ा 1800 के पार हो गया है। वुहान शहर समेत आसपास के इलाको को उनके घरों में ही कैद कर दिया गया है। करीब डेड़ करोड़ लोग जहां हैं, वहीं बंद हैैं। जो कोई सड़क पर बाहर निकलने की कोशिश करता है, उसे पुलिस पकड़ कर जेल में डाल देती है।
इस समस्या का असर अब दुनियाभर के कारोबार पर दिखाई देने लगा है। भारत के दवा उद्योग के बाद अब नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र पर वायरस का खतरा मंडराने लगा है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में चिंता जताई कि कोरोना के कारण भारत में 16 हजार करोड़ रुपये के सोलर प्रोजेक्ट पर असर पड़ सकता है।
मालदीव के सात नागरिक लौटे घर
दिल्ली के छावला में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) संगरोध सुविधा में कोरोनावायरस की स्क्रीनिंग के बाद एक बच्चे सहित सात मालदीव के नागरिकों को उनके देश भेज दिया गया। भारत सरकार द्वारा इन नागरिकों को चीन के वुहान से निकाला गया था।
मां के अवशेष वापस लाने की अपील
मुंबई निवासी पुनीत मेहरा, जिनकी मां ने 24 जनवरी को बीजिंग के रास्ते मेलबर्न से मुंबई के लिए उड़ान भरने के बाद चीन के एक अस्पताल में अपनी जान गंवा दी थी, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से अपनी मां के अवशेषों को जल्द से जल्द वापस लाने की अपील की है।
पुनीत मेहरा ने कहा कि किसी कारणवश परिवहन प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी है, मुझे नहीं पता कि यह कोरोनोवायरस के कारण है या कोई और वजह है। बहुत समय बीत चुका है और मेरी मां के अवशेष अभी तक वापस नहीं आए हैं, मुझे नहीं पता कि वह किस स्थिति में है। मैं प्रधानमंत्री और सरकार से उन्हें वापस लाने की अपील करता हूं।