नई दिल्ली। शिवसेना,एनसीपी और कांग्रेस ने शनिवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री अजित पवार के शपथग्रहण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर रविवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस एनवी रमना,जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस खन्ना की बेंच ने कहा कि सोमवार सुबह 10.30 फिर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को नोटिस जारी किया है। रविवार को हुई सुनवाई में कपिल सिब्बल शिवसेना की तरफ से, अभिषेक मनु सिंघवी एनसीपी की तरफ से और देवदत्त कामत कांग्रेस की तरफ से पेश हुए हैं। केके वेणुगोपाल और तुषार मेहता केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए हैं। भाजपा विधायकों की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी पेश हुए हैं।
रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि क्या 3 हफ्ते तक तीनों पार्टियां सो रही थीं। उन्होंने कहा कि वह सीएम को नोटिस जारी करें, वह अपना पक्ष रखेंगे। रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल अपने विवेक से फैसला लेने को स्वतंत्र हैं। राज्यपाल ने सड़क से किसी को उठाकर शपथ नहीं दिलाई है।
मुकुल रोहतगी की इस दलील पर कि राज्यपाल के फैसले की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती, कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब यह भी नहीं है कि किसी को भी शपथ दिला दी जाए। सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एनसीपी के कुल 54 विधायकों में से 41 विधायकों ने गवर्नर को लिखित में जानकारी दी है कि अजित पवार को एनसीपी के विधायक दल के नेता पद से हटाया जा चुका है। कपिल सिब्बल ने रामेश्वर जजमेन्ट का हवाला दिया और कहा कि हमें सरकार बनाने दिया जाए। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास बहुमत है, हम कल बहुमत साबित करने के लिए तैयार हैं। कोर्ट को देरी नहीं करनी चाहिए, वे अपनी मेजॉरिटी साबित करें।’
तुषार मेहता ने भी महाराष्ट्र मामले में सुनवाई पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता पहले हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। कपिल सिब्बल ने कहा,इस मामले में कर्नाटक मामले की तरह मेजॉरिटी का कोई लेटर नहीं है। सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि जोड़-तोड़ की राजनीति को रोकना जरूरी है, इसलिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट हो। किसी सीनियर विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाने और आज ही फ्लोर टेस्ट की मांग की। सिंघवी ने कोर्ट से जल्द से जल्द बहुमत परीक्षण की मांग की। कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कर्नाटक की तर्ज पर 24 घंटे के भीतर बहुमत परीक्षण कराने का आदेश देने की मांग की। उन्होंने कर्नाटक का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 19 दिनों का वक्त दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था।