अचानकमार टाइगर रिजर्व के रेंजर संदीप सिंह के समर्थन में आए वन्यजीव प्रेमी, रायपुर के नितिन सिंघवी ने वन मंत्री को लिखा पत्र, कहा- निलंबन से जंगल कटना बढ़ेगा, शिकारी वन्यप्राणी ज्यादा मारेंगे.

रायपुरय़ छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदन में अचानकमार टाइगर रिजर्व में पूर्व में पदस्थ रेंजर संदीप सिंह के निलंबन की घोषणा के बाद प्रदेश के वन्यजीव प्रेमियों ने चिंता जताई है। रायपुर के नितिन सिंघवी ने वन मंत्री को पत्र लिख कहा है कि ऐसी कार्रवाई से आमजन में गलत संदेश जाएगा। इससे जंगलों में वन कटाई बढेगी। जंगली जानवरों का शिकार भी बढ़ा जाएगा।

सिंघवी ने बताया कि वास्तव में रेंजर के हिप ज्वाइंट का ऑपरेशन 2 साल पहले हुआ था। परंतु ग्रामीणों द्वारा बंधक बनाए जाने के कारण, मजबूरीवश उन्हें दो महिला कर्मचारियों के साथ उठक बैठक करना पड़ा। 6 घंटे बंधक बनाए रखने के दौरान उनके हिप ज्वाइंट में मारा गया। गार्ड के गले में चोट पहुंचाई गई। वन विभाग के 3 कर्मचारी अस्पताल में 3 दिन भर्ती रहे एवं रेंजर 7 दिन भर्ती रहे। विधान सभा को बताया कि ग्रामीणों द्वारा रेंजर की उठक बैठक करवाई गई, इसका वीडियो भी उपलब्ध है । इसके बावजूद भी रेंजर को निलंबित किया गया है.

वन विभाग के रेंजर एव कर्मचारी जो शिकारियों को पकड़ते हैं, ग्रामीणों से पिटाई खाते हैं, घंटो बंधक रहते है, तदोपरांत इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती रहते हैं उनमे से एक, रेंजर संदीप सिंह को कर्तव्य पूर्ण करने के कारण निलंबन किए किया गया. इस कार्रवाई से कुछ बचे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी निरुत्साहित हो अकर्मण्य हो जाएंगे तथा वन संरक्षण एवं वन्यजीव संरक्षण के प्रति उनके मन में अरुचि उत्पन्न हो जाएगी जो कि हमारे जैसे राज्य जहां पर अवैध कटाई एवं शिकार बढ़ रहा है उस राज्य के हित में नहीं है. सिंघवी ने मांग की है कि रेंजर का निलंबन तत्काल वापस लिया जाये एवं जाँच उपरांत ही जो भी पक्ष दोषी हो उनके विरुद्ध कार्यवाही की जानी चाहिए.

प्रेरणा सिंह बिंद्रा पहले ही घटना का विरोध कर चुकी हैं

देश के वन्यजीव संरक्षण में कार्यरत, प्रसिद्ध लेखिका, नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की स्टैंडिंग समिति की एव उत्तराखंड वाइल्डलाइफ बोर्ड की पूर्व सदस्य प्रेरणा सिंह ने मई 2020 में मामले का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को अचानकमार के तेंदुए शिकार प्रकरण में कार्यवाही करने की मांग करते हुए पत्र लिखा था कि अपमानित किये गए फ्रंट लाइन स्टाफ के साथ न्याय होना चाहिए. छत्तीसगढ़ की हालत पर वे बहुत दुखी है वहां ना तो टाइगर सेल है ना ही स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फ़ोर्स.