कानपुर का कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर में मारा जा चुका है। इसी के साथ अपराध की दुनिया में उसका सम्राज्य भी खत्म हो चुका है। लेकिन कई सवाल है जो अब भी लोगों के जेहन में घुमते रहते हैं। ऐसा ही एक सवाल है कि विकास दुबे ने जिन 8 पुलिसवालों को मौत कीनींद सुलाया था, उनमें सबसे विभत्स तरीके से डीएसपी देवेंद्र कुमार मिश्रा की हत्या ही क्यों की। अब इसका जवाब सामने आया है। यह जवाब खुद विकास दुबे से ही सामने आया था।
तो वजह यह है कि शहीद डीएसपी देवेंद्र कुमार मिश्र की नृशंस हत्या के पीछे उनकी दहशतगर्द विकास दुबे से 22 साल पुरानी रंजिश थी। देवेंद्र मिश्र जब कल्याणपुर थाने में सिपाही थे तो उनका विकास से आमना-सामना हुआ था। दोनों ने एक-दूसरे पर बंदूक तान ली थी। ट्रिगर भी दबाया था लेकिन दोनों ओर से फायर नहीं हो पाया था। इसके बाद देवेंद्र ने विकास को जमकर पीटा था और हवालात में डाल दिया था। ये खुलासा खुद विकास ने उज्जैन से कानपुर लाए जाने के दौरान एसटीएफ की पूछताछ में किया था।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक 1998 में विकास दुबे स्मैक की तीस पुड़िया और बंदूक के साथ कल्याणपुर इलाके से गिरफ्तार हुआ था। तत्कालीन थानेदार हरिमोहन यादव से थाने में ही विकास भिड़ गया था। उनके साथ मारपीट की थी। यह देखकर देवेंद्र मिश्र विकास से भिड़ गए थे। तभी से विकास उनसे रंजिश मानने लगा।
देवेंद्र मिश्र को जब बिल्हौर सर्किल का चार्ज मिला तो विकास समझ गया कि उसको दिक्कत होगी। इसलिए उसने थानेदार विनय तिवारी के साथ साठगांठ की। दो जुलाई को देवेंद्र जब बिकरू गांव में दबिश देने गए तो विनय ने मुखबिरी कर दी। विकास को मौका मिल गया और उसने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी।
विधायकों ने पैरवी कर दिया था धरना
इस मामले में तत्कालीन विधायक भगवती सागर और राजाराम पाल (दोनों बसपा से) ने थाने पहुंचकर विकास दुबे की पैरवी की थी। पुलिस जब उनकी बात मानने को तैयार नहीं हुई तो दोनों नेताओं ने थाने में धरना दिया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विकास के राजनीतिक रिश्ते कितने गहरे थे।