छत्तीसगढ़ प्रदेश संगठन से क्यों खफा हो रहे हैं भाजपा के सांसद? क्या सच में सुनील सोनी और विजय बघेल ने की है केंद्रीय नेतृत्व से शिकायत ?

रायपुर। सत्ता का सुख और दवाब हमेशा असंतोष को दबा कर रखा है। यह बात अब पार्टी विद डिफरेंट का टैग लाइन लेने वाली भाजपा पर भी लागू हो रही है। 15 सालों तक सत्ता में रहने के चलते हमेश गर्व करती रही कि कांग्रेस की तरह उसके भीतर गुटवाजी नहीं है, असंतोष नहीं है, बिखराव नहीं है। लेकिन सत्ता से बाहर होने के 2 साल के भीतर ही उसके तमाम गर्व बिखरते दिख रहे हैं।

ताजा खबर भाजपा सांसद सुनील सोनी को लेकर है। बताया जा रहा है कि रायपुर लोकसभा क्षेत्र में आने वाले बलौदाबाजार भाटापारा जिले में भाजपा की जिला कमेटी का गठन कर दिया गया, लेकिन सांसद से पूछा तक नहीं गया। अब यही पीड़ा उन्हें साल रही है। बताते हैं कि उन्होंने अपनी पीड़ा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष के सामने भी रख दी है।

जानकार बताते हैं कि भाटापारा जिले में अब भी पूर्व विधायक की तूती बोलती है। उनके प्रभाव के चलते ही जिला भाजपा के अध्यक्ष सनम जांगड़े ने जिला कमेटी की सूची घोषित कर दी। इतना भी जरूरी नहीं समझा गया कि क्षेत्र के सांसद से राय मशविरा ही ले ले।

एक और मामला ऐसा ही है। दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के सांसद विजय बघेल भी केंद्रीय भाजपा कार्यालय अपनी पीड़ा बताने पहुंच गए हैं। उनकी पीड़ा यह है कि उनके संसदीय क्षेत्र में भिलाई जिला के अध्यक्ष की घोषणा अबतक नहीं की गई है। इसका असर यह हो रहा है कि संगठन क्षमता शून्य होता जा रहा है। बताते हैं कि उन्होंने यहा तक कहा कि उन्हें उनके क्षेत्र के दौरे में जाने में भी परेशानी महसूस होने लगी है।

बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के दोनों सांसदों ने भाजपा के राष्ट्रीय संगठन को प्रदेश भाजपा की दयनीय स्तिथियों से भी अवगत कराया है। वैसे यह संकेत अच्छे नहीं है। क्योंकि सत्ता की मलाई में डूबे नेताओं ने प्रदेश में इतने गुट बना लिए हैं कि पूर्व की कांग्रेस के रिकार्ड भी शायद टूटने लगे। संघर्ष की क्षमता चूक रही है। राजनीति सोशल मीडिया और बयानों से ही हो रही है। वैसे, यह भी हो सकता है कि पार्टी और संगठन शायद चुनाव से पहले के वक्त का इंतजार कर रही हो। क्योंकि लोहा गर्म हो तो चोट मारने में ज्यादा लाभ मिलता है।