कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहे देश के सामने कई और चुनौतियां भी हैं। इनमें अफवाह और झूठी रिपोर्ट देश और जनता दोनों के लिए बड़ा सरदर्द बनती जा रही है। हैरत की बात यह है कि इस झूठी रिपोर्ट के बीच देश की कई जानी मानी समाचार एजेंसी, संस्था और चैनल तक शामिल हो जाते हैं। ऐसी ही एक झूठ को लेकर भारत सरकार का जनसंपर्क विभाग सामने आया है।
दरअसल, देश की जानीमानी न्यूज मैग्जीन द कारवां ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन आगे बढ़ाने का ऐलान किया, लेकिन इससे पहले कोरोना वायरस को लेकर गठित टास्क फोर्स की सलाह लेना भी जरुरी नहीं समझा। इस टास्क फोर्स में देश के शीर्ष 21 वैज्ञानिक शामिल हैं। रिपोर्ट में मैग्जीन के संवाददाता का दावा है कि उसने इस टास्क फोर्स के चार वैज्ञानिकों से बातचीत की. सभी ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से इस टास्कफोर्स की कोई बैठक ही नहीं हुई। उस सदस्य ने यहां तक आरोप लगाया कि शायद केंद्र सरकार ने टास्क फोर्स का गठन इसलिए किया ताकि वो लोगों को बता सकें कि हम वैज्ञानिकों की सलाह ले रहे हैं।
हालांकि इस रिपोर्ट का सरकार की तरफ से खंडन किया गया है। आईसीएमआर ने इस खबर का खंडन करते हुए कहा कि कोविड 19 के बारे में एक मीडिया रिपोर्ट है जो झूठा दावा करती है। सच यह है कि पिछले महीने में टास्क फोर्स की 14 बार बैठक हो चुकी है। सारे फैसले टास्क फोर्स के सदस्यों को शामिल करके ही लिए जाते हैं। इसलिए ऐसी भ्रामक रिपोर्ट से दूर रहें।
आईसीएमआर के इस खंडन को पीआईबी ने भी शेयर किया और कहा कि न्यूज मैग्जीन की रिपोर्ट और उसका दावा झूठा है। टास्क फोर्स की सलाह से ही फैसले लिए जाते हैं।