रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठियों की शामत तय, जारी हो गया फरमान

रायपुर. छत्तीसगढ़ में अवैध घुसपैठिए जिसमें रोहिंग्या, बांग्लादेशी शामिल हैं, उसके खिलाफ अभियान लांच होने जा रहा है. इस माह के अंत तक पुलिस की स्पेशल टास्क फार्स ये अभियान लांच कर देगी. अवैध घुसपैठियों को चुन चुन कर निकाला जाएगा, उन्हें बाहर किया जाएगा. सरकार ने टास्क फोर्स को टार्गेट दे दिया है. जनता के पास ऐसी किसी अवैध घुसपैठियों के बारे में जानकारी है तो वो टोल फ्री नंबर या गुगल शीट के जरिए अपनी बात सरकार तक पहुंचा सकती है. सरकार बहुत जल्द ये टोल फ्री नंबर जारी करने जा रही है.

5 जून को मंत्रालय में इस सबंध में लंबी बैठक चली. करीब 6 घंटे की ये बैठक गृह मंत्री विजय शर्मा की अध्यक्षता में चली. इस बैठक में राज्य के समस्त जिलों के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के नोडल अधिकारी, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगुवा, पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम, एडीजी इंटिलिजेन्स अमित कुमार, सचिव नेहा चम्पावत, सचिव हिमशिखर गुप्ता, के अलावा जिला स्तरीय नोडल अधिकारी और पुलिस विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे.

सीमावर्ती जिला ही नहीं, पूरे प्रदेश में हो सघन जांच- विजय शर्मा
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि केवल कुछ सीमावर्ती जिलों में ही नहीं, बल्कि समूचे प्रदेश में इस विषय को अत्यंत संवेदनशीलता से लिया जाना चाहिए। उन्होंने दो टूक कहा कि हम प्रदेश को घुसपैठ का शिकार नहीं बनने दे सकते। उन्होंने अधिकारियों को इस कार्य को सिर्फ एक रूटीन ड्यूटी न समझते हुए इसे राष्ट्र और समाज की सुरक्षा से जुड़ा अत्यंत गंभीर उत्तरदायित्व मानकर पूरी निष्ठा से करें। उपमुख्यमंत्री ने घुसपैठियों के विरुद्ध कार्यवाही में दुर्ग जिले में अच्छे कार्य के लिए उन्हें बधाई दी। उपमुख्यमंत्री ने बैठक में जिलों में चिन्हित “हॉटस्पॉट” क्षेत्रों की पहचान कर वहां सघन तलाशी अभियान चलाने, संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान एवं पूछताछ और किरायेदारों के सत्यापन अभियान को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए।

सिर्फ कागजात नहीं, और भी पैरामीटर चेक होगे- विजय शर्मा

उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने यह भी कहा कि दस्तावेजों के भरोसे केवल निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता। उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा की कि व्यक्ति की भाषा, उच्चारण, पारिवारिक जानकारी, गांव, स्कूल और स्थानीय संपर्कों के आधार पर उसकी वास्तविक पहचान की पुष्टि की जाए। उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनाए गए पहचान को केवल दस्तावेज देख कर सत्य नहीं माना जा सकता।

उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि केवल दस्तावेज जांच पर्याप्त नहीं है। इसके स्थान पर व्यक्ति की पारिवारिक, शैक्षणिक और सामाजिक पृष्ठभूमि की गंभीरता से जांच होनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अक्सर घुसपैठिए नाम और बाकी जानकारी बदलकर वैध नागरिक के रूप में सामने आने की कोशिश करते हैं, ऐसे में उनका प्रारंभिक स्कूल, वहां के शिक्षक का नाम, और उनके गांव की सामाजिक जानकारी तक जांचना आवश्यक है। उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने कहा कि सभी जिलों से एक-एक मोबाइल निरीक्षण टीम गठित की जाए, जो मौके पर जाकर तत्काल जांच कर सके। उन्होंने सुझाव दिया कि एक टोल-फ्री नंबर और गूगल फॉर्म के माध्यम से आम जनता से भी सूचना प्राप्त की जाए, ताकि समाज की सहभागिता से अभियान को और प्रभावशाली बनाया जा सके। आम नागरिक फोटो, वीडियो और विवरण इस माध्यम से साझा कर सकेंगे, जिससे राज्य को सटीक सूचना प्राप्त होगी।

उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मकान मालिक, ठेकेदारों और तंबू-पंडाल वालों की जिम्मेदारी भी तय की जानी चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि किरायेदारों के सत्यापन में लापरवाही बरतने वालों पर विधिसम्मत कार्यवाही की जाए। उन्होंने सभी अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया कि इस अभियान का नाम निर्धारित कर माह के अंत तक विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर एक स्थायी रजिस्टर तैयार किया जाए, जिसमें छत्तीसगढ़ निर्माण के पूर्व से गांवों में निवासरत परिवारों की जानकारी संग्रहीत की जाए। इससे भविष्य में संदिग्ध व्यक्तियों की जांच में मदद मिलेगी।