नई दिल्ली। भारत में #कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में रेलवे बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है। रेलवे ने अपनी पूरी ताकत इस लड़ाई के खिलाफ झोंक दी है। लॉकडाउन के दौरान देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक सामान पहुंचाने का काम तो कर ही रही है, साथ ही कोरोना से लड़ने के सभी जरुरी सामान और संसाधन उपलब्ध कराने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। रेलवे आइसोशलेशन बेड से लेकर सेनेटाइजर और मास्क से लेकर वेंटिलेटर तक बना रही है।
केंद्रीय स्वास्थ संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में रेलवे के योगदान को रखते हुए बताया कि रेलवे ने अब तक 40,000 आइसोलेशन बेड तैयार कर दिया है। रेलवे बोगियों को मॉडिफाई कर उसे आइसोलेशन बेड के रुप में तब्दील किया जा रहा है। इसके लिए 2500 कोच में बदलाव किया गया है। रेलवे हर दिन इसी तरह 375 आइसोलेशन बेड तैयार कर रहा है। देश के 133 स्थानों पर यह काम जारी है।
इससे पहले रेलवे कई और तरीकों से भी कोरोना के खिलाफ जंग में अपना योगदान दे चुका है। रेलवे की ओर से बड़े पैमाने पर मास्क बनाए गए। जब देश में सेनेटाइजर की कमी थी, तो इसका भी उत्पादन किया गया। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वेंटिलेटर की भूमिका काफी बड़ी बताई जा रही है, क्योंकि गंभीर रुप से बीमार लोगों को कृत्रिम सांस देने की जरुरत पड़ती है और इसके लिए वेंटिलेटर काम आता है। देश में इसकी भारी कमी को देखते हुए रेलवे ने सस्ता वेंटिलेटर तैयार कर परीक्षण के लिए दे दिया है। इसी तरह कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के सैनेटाइजेशन के लिए भी चैंबर बना चुकी है।
एक संक्रमित व्यक्ति 30 दिनों 406 व्यक्तियों को दे सकता है बीमारी
लव अग्रवाल ने बताया कि अगर कोरोना संक्रमित एक भी व्यक्ति बचा हो, तब भी वह बहुत बड़ी चुनौती है। उन्होेंने आईसीएआर के नये अध्ययन का उदाहरण देते हुए बताया कि यदि एक कोरना संक्रमित व्यक्ति लॉकडाउन नियमों का पालन नहीं करता या फिर अपना सामाजिक संपर्क को खत्म नहीं करता तो वह 30 दिनों में 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है।
अब तक 4421 मरीज, रफ्तार थोड़ी थमी
देश में कोरोना के अब तक 4,421 मरीज हो चुके हैं। पिछले 24 घंटों में 354 केस सामने आए हैं। पिछले सात दिनों में पहली बार है जब कोरोना मरीजों की रफ्तार में कमी आई है। इससे पहले हर दिन 600 के आस पास नए मरीज सामने आ रहे थे। लव अग्रवाल ने बताया कि अब तक 326 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं।