जिसका डर था, वही होता दिख रहा है। धर्म के ठेकेदारों ने अपनी कट्टरता और मूर्खतापूर्ण हरकतों से देश के लाखों करोडों लोगों की रोजी रोटी पर संकट ला खड़ा किया है। हालात से डरे लोग अब धर्म विशेष के लोगों से सब्जी , फल से लेकर दूसरे सामान खरीदने तक डरने लगे हैं। ऐसे में इन गरीबों के सामने अपने परिवार की परवरिश करने की चुनौती खड़ी हो गई है।
दिल्ली में तबलीगी जमात के आयोजन ने देश में कोरोना वायरस के मरीजों में काफी बढ़ोत्तरी कर दी। देश में तेजी से बढ़ते मामले की एक बड़ी वजह तबलीगी जमात भी माना गया। इस पूरे वाकये में तबलीगी जमात के धार्मिक नेताओं का रवैया बेहद गैर जिम्मेदाराना रहा। सबसे बड़ा सवाल जमात के मौलवी साद पर उठा। उसने शुरू में मुस्लिमों को भड़काया। सामाजिक दूरी ना मानने के लिए भड़काया। कोरोना से निपटने के लिए सरकार ने जो कदम उठाए, उसे मुस्लिमों के प्रति साजिश करार दिया। हालत ये हुआ कि दिल्ली में एकजगह इकट्ठा ना होने के आदेश जारी होने के बाद भी जमात में हजारों लोगों की मरकज आयोजित की गई।
दूसरा बड़ा गैर जिम्मेदार रवैया जमातियों का रहा। जब जमातियों में से अधिकांश लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने लगी तब भी वो नहीं चेते. ना प्रशासन के सामने खुद आए, और ना ही प्रशासन को इस काम में मदद की। देश भर के मस्जिदोंं में जाकर छुप गए। कई तो अपने मोबाइल फोन बंद कर छुप गए। जब सरकार उन्हें ढूंढ कर आइसोलेशन सेंटर और अस्पताल भेजने लगी तो इनकी बदनियत सामने आने लगी। ये जमाती अस्पताल में गिरी हुई हरकत करने लगे। इलाज कर रहे डॉक्टर और नर्स पर थूकने लगे, ताकि उन्हें संक्रमित कर सके। वार्ड में थूकने लगे। नर्स के सामने नंगे घूमने लगे। वार्ड के सामने शौच तक कर दिया। बिरयानी की मांग करने लगे। यहां तक कि खिड़की तोड़ कर वहां से भागने की कोशिश भी कर ली।देश के कई जगहों पर पुलिस जमातियों को ढूंढने गई तो वहां के मुसलमानों ने पुलिस पर पथराव किया।
इन सारी घटनाओं ने देश में बेहद गलत संदेश दिया। संदेश गया कि जमाती जानबूझ कर इस संक्रमण को फैलाना चाहते हैं। वो देश का नियम और व्यवस्था मानने को तैयार नहीं। इसमें कुछ मुसलमान भी उनका साथ दे रहे हैं। इन सबके बीच सोशल मीडिया पर वायरल हुई कुछ मुस्लिम युवाओं की करतूत ने आग में घी डाल दिया। ये लोग फल और नोट पर थूक लगाते विडियो बना कर वायरल किया। उनकी इस हरकत ने देश में लाखों मुस्लिमों को संदिग्ध बना दिया। अब इसका असर देखिए, देश में क्या क्या हो रहा है-
ग्रेटर नोएडा का शाहबेरी क्षेत्र जुलाई 2018 में एक जुड़वां इमारत गिरने के बाद सुर्खियों में आया था, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी। यहां एजेंसी से बात करते हुए कई सब्जी और फल विक्रेताओं ने बताया कि 21 दिनों के लॉकडाउन के कारण अपनी नौकरी खो देने के बाद से वे इन वस्तुओं को बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते कि लोग हमारे साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं, क्योंकि हमारा तबलीगी जमात या ऐसे अन्य संगठनों के साथ कोई संबंध नहीं है।
71 साल के एक सब्जी विक्रेता ने पहचान जाहिर न करते हुए एजेंसी को बताया, “मैं खुद को और अपने परिवार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश क्यों करूंगा? मैं भी आपकी तरह ही सावधानियों का पालन कर रहा हूं। जो लोग ऐसी अफवाहों पर विश्वास करते हैं कि हम (इस्लामिक समुदाय) कोरोना फैला सकते हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए। यहां रहने वाले हर समुदाय के लोग मेरे अपने परिवार की तरह हैं।” उन्होंने कहा, “बहुत से लोगों ने मुझसे सब्जियां खरीदने से इनकार कर दिया। जिन्होंने सब्जी खरीदी उनहोंने पैसे वापस नहीं लिए बल्कि मुझसे उसके बदले कुछ और खरीदा। समस्या अचानक बढ़ गई है, क्योंकि तबलीगी देश भर में फैल गए हैं और वे कोरोना फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।”
एक 29 वषीर्य इलेक्ट्रीशियन, अर्पित (बदला हुआ नाम) ने भी ऐसा ही अनुभव सुनाया, “मैं एक निजी स्कूल में काम कर रहा था। लॉकडाउन से मेरी नौकरी चली गई। मैं तब से फल बेच रहा हूं। चार-पांच दिन पहले तक सब कुछ सामान्य था। फिर अचानक, फल खरीदने से पहले ग्राहक मेरा नाम पूछने लगे। असली नाम को जानने के बाद कई ग्राहकों ने मुझसे फल नहीं खरीदे। अब मुझे मजबूरन अपनी पहचान छिपानी पड़ी।” उन्होंने अपनी पहचान छिपाने का अनुरोध करते हुए कहा, “मेरा 6 सदस्यों का परिवार है और मैं एकमात्र कमाने वाला हूं। यही ठेला कमाने का एकमात्र तरीका है। परिवार के सदस्यों की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए झूठ बोलना जरूरी हो गया।”
नोएडा के सेक्टर -70 में एक कसाई की दुकान के मालिक ने बताया, “मुझे नोएडा में सब्जियां बेचने दूर जाना पड़ रहा है, क्योंकि लॉकडाउन के बाद से मेरी दुकान बंद है और जो लोग मुझे जानते हैं उन्होंने मुझसे सब्जी खरीदना बंद कर दिया है। बाहरी लोग मुझे नहीं जानते हैं तो वे खरीद लेते हैं। मैंने अब टोपी की बजाय पगड़ी पहनना शुरू कर दिया है।”
महाराष्ट्र के पुणे में पोल्ट्री उद्योग के अंदरुनी सूत्रों के अनुसार, “तबलीगी जमात और इससे जुड़े मामलों के बारे में खबरें आने के बाद से मुस्लिम मजदूरों, ड्राइवरों को आने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ इसी तरह की घटनाएं नासिक, अहमदनगर, इंदापुर के तालुका और पुणे जिले के जुन्नार क्षेत्र में हुईं। पिछले एक सप्ताह में, भारत भर में कोविड-19 मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है और उनमें से सैकड़ों को दिल्ली के निजामुद्दीन में धार्मिक समूह तबलीगी जमात के एक समूह से जोड़ा गया है, जिनके कारण यह बीमारी तेजी से फैली है। 13-15 मार्च को आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों और देशों के 2,००० से अधिक लोगों ने भाग लिया था।