रायपुर. छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटा (NRI QUOTA) के तहत दिए जाने वाले एडमिशन पर तलवार लटक रही है. एनआरआई कोटे में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपये की उगाही का खेल चलरहा है. इसमें मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से लेकर राज्य के बड़े अधिकारी और राजनेता तक शामिल हैं. फर्जी दस्तावेज पर किसी को भी एनआरआई का रिश्तेदार बता दिया जाता है, और उन्हें एडमिशन दे दिया जाता है. इसी के चलते नीट में 500 स्कोर करने वाला भी MBBS में एडमिशन नहीं ले पाता है, जबकि 130-140 मार्क्स पाने वाला एडमिशन ले रहा है. पूरा धंधा करीब 113 करोड़ का है.
अब इस धंधे पर ब्रेक लग सकता है. प्रदेश के व्हिसल ब्लोअर डॉक्टर राकेश गुप्ता की कोशिशों के चलते पूरा मामला उछल गया है. इसके चलते सरकार ने भीजांच के आदेश दे दिए हैं. डॉ. गुप्ता कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भी हैं. हालांकि, मेडिकल क्षेत्रमें वो सुधार के काम के लिए जाने जाते हैं. अपनी सरकार के समय भी कई मुद्दों पर आवाज उठाई जो सरकार को परेशान में डालती थी.
राकेश गुप्ता कहते है, पंजाब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि केवल नजदीक रक्त संबंधी को अप्रवासी कोटे एनआरआई कोटे में मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन दिया सकता है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह आवश्यक हो जाता है कि सरकार नई नियमावली का नोटिफिकेशन जारी करे। ताकि योग्य विद्यार्थियों का एडमिशन मेरिट के आधार पर हो सके। मुनाफाखोरी और निजी विद्यालयों के दबाव में सरकार सर्वोच्च न्यायालय आदेशो की अनदेखी कर रही है। 24 सितंबर को माननीय सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के पश्चात छत्तीसगढ़ सरकार को अपनी चल रही भर्ती प्रक्रिया को रोक कर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन करना चाहिए था लेकिन फिर भी 27 सितंबर तक भर्ती प्रक्रिया चलती रही। 24 सितंबर के बाद काउंसलिंग की जारी लिस्ट के एनआरआई कोटे के 45 बच्चों के दस्तावेज सत्यापन करने के निर्देश राज्य सरकार ने जारी किया है जो गलत है। सरकार 24 सितंबर के बाद के सभी एडमीशन की प्रक्रिया को निरस्त करें।
कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी चिकित्सा प्रकोष्ठ द्वारा मीडिया के माध्यम से और बाद में पत्र लिखकर माननीय मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं काउंसलिंग कमिटी सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों को इस संबंध में ध्यान आकर्षित करते हुए तुरंत रोक लगाने का आग्रह किया था। इस पत्र के मीडिया में आने के बाद पूरी राज्य सरकार हरकत में आई और उन्होंने इस संबंध में महाधिवक्ता की राय दो पत्र लिखकर 10 और 13 अक्टूबर को मंगाई है महाधिवक्ता कार्यालय से सूची सचिव स्वास्थ्य विभाग को जानकारी के अनुसार राज्य सरकार को 16 अक्टूबर को प्राप्त हो गया है।
कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश एवं इस संबंध में महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा स्पष्ट राय के बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी न किया जाना एक गंभीर मिली भगत एवं भारी भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण है। एनआरआई कोटे में फर्जी प्रवेश भाजपा सरकार का संगठित घोटाला है यदि सरकार हम पर तत्काल रोक लगाते हुये न्यायालयों द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुरूप नये नियमावली जारी करें और उसी के आधार पर प्रवेश की प्रक्रिया हो।