रायपुर। कोरोना महामारी से जूझ रहे उद्योग जगत को भारत की नवरत्न कंपनी एनएमडीसी की तरफ से बड़ी राहत मिली है। एनएमडीसी ने लौह अयस्क की कीमत 400 रूपये प्रति टन तक कम कर दिया है। इससे स्पॉंज आधारित कंपनियों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। एनएमडीसी ने एक माह के भीतर डीआरसीएलओ की कीमत भी 1050 रुपये प्रति टन तक कम कर दिया है। इसका सीधा सीधा फायदा छत्तीसगढ़ की कंपनियों को मिलेगा।
एनएमडीसी के सीएमडी एन.बैजेंद्र कुमार ने बताया कि एनएमडीसी द्वारा कीमतें घटाए जाने से इस्पात कंपनियों को बड़ी राहत मिली है और उन्होंने एनएमडीसी द्वारा संकट के वर्तमान समय में लिए गए इस कदम की सराहना की है। बता दें कि डीआरसीएलओ के प्रमुख ग्राहक छ्तीसगढ़ की कंपनियां हैं।लौह अयस्क की कीमतों में कमी से इस्पात कंपनियों, विशेष रूप से छ्त्तीसगढ़ की स्पॉन्ज ऑयरन आधारित इस्पात कंपनियों को बड़ी राहत मिली है। एनएमडीसी ने कीमतों के निर्धारण में इस्पात एवं लौह अयस्क के मौजूदा बाजार की परिस्थितियों पर विचार करते हुए एक अच्छा निर्णय लिया है।
एनएमडीसी से मिली जानकारी के मुताबिक, 9 मई को लौह अयस्क की कीमतें 400/- रुपए प्रति टन तक घटा दी गई हैं तथा तथा डीआरसीएलओ की कीमतों में भी रु. 470/- प्रति टन की कमी की गई है। पहले भी 4 अप्रैल को एनएमडीसी ने लौह अयस्क की कीमतें 500/- रुपए प्रति टन तक घटाई थीं तथा डीआरसीएलओ उत्पाद की कीमतों में भी 580/- रुपये प्रति टन की कमी की थी। इस प्रकार एक माह की अवधि में एनएमडीसी ने लौह अयस्क की कीमतें 900/- रुपए प्रति टन तथा डीआरसीएलओ की कीमतें 1050/-रुपए प्रति टन कम की है।
गौरतलब है कि तैयार माल के प्रयोगकर्ताओं की घटती हुई मांग के कारण सभी प्रमुख इस्पात मिलें कम क्षमता के साथ कार्य कर रही हैं।ओएमसी सहित, उड़ीसा के कुछ व्यापारिक खनिकों ने हाल ही में संपन्न उनकी नीलामी में लौह अयस्क की कीमतों में रु.500/- प्रति टन की कमी की थी, फिर भी वे अपनी सम्पूर्ण मात्रा का निपटान नहीं कर सके।