बड़ी खबर : न्यूयॉर्क टाइम्स का बड़ा खुलासा.. किसलिए ट्रंप पड़े हैं हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के पीछे

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस के इलाज हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को बेहद कारगर बताते आए हैं। पिछले कई सप्ताह से वो इसे कोरोना के इलाज में कारगर दवा बताते आ रहे हैं। यहां तक कि इस दवा के लिए भारत से गुहार और फिर उसे धमकी तक दे दी। ऐसे में सवाल खड़ा होना जायज ही था कि क्या सच में वो इस दवा के कारगर होने के कारण ही ऐसे बेचैन हैं, या फिर इसके पीछे कोई और वजह भी है। अब अमेरिका का बड़ा अखबर न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस बारे में सनसनीखेज खुलासा किया है।

अमेरिका के अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स की वेबसाइट पर इस बात का खुलासा किया गया है कि डोनाल्ड ट्रंप आखिर क्यों मलेरिया की इस दवा के पीछे पड़े हैं. मीडिया संस्थान ने बताया है कि डोनाल्ड ट्रंप का इसमें निजी फायदा है.

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार अगर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को दुनियाभर में कोरोना के इलाज के लिए अनुमति मिलती है तो उससे ये दवा बनाने वाली कंपनियों को बहुत फायदा होगा. ऐसी ही एक कंपनी में डोनाल्ड ट्रंप का शेयर है. साथ ही उस कंपनी के बड़े अधिकारियों के साथ डोनाल्ड ट्रंप के गहरे रिश्ते हैं. 

वेबसाइट पर लिखा है कि डोनाल्ड ट्रंप का फ्रांस की दवा कंपनी सैनोफी को लेकर व्यक्तिगत फायदा है. कंपनी में ट्रंप का शेयर भी है. ये कंपनी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को प्लाकेनिल ब्रांड के नाम से बाजार में बेचती है. ऐसे में अगर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की दवा की मांग बढ़ती है तो फिर कंपनी के जरिए उनका भी बड़ा फायदा हो सकता है।

बता दें कि मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बेहद कारगर दवा है. भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं. इसलिए भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर इसका उत्पादन करती हैं.

दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका जैसे देशों में यह दवा कोरोना वायरस के मरीजों को दी जा रही है. सहायक भी साबित हो रही है. इसी वजह से इसकी मांग और बढ़ गई है. हालांकि, वहां के डॉक्टर इसे लेकर उतने आशान्वित नजर नहीं आते हैं। अमेरिका के डॉक्टर इसके साइड इपेक्ट को लेकर संदेह कर रहे हैँ। दिल के मरीजों को इस दवा का साइड इपेक्ट नुकसान पहुंचा सकता है। कुछ पश्चिमी देशों में डॉक्टर इसके साइड इपेक्ट को लेकर कोरोना के इलाज में इस्तेमाल करने से बचते हैं।

हाल के दिनों में भारत में इस दवा के उत्पादन में थोड़ी कमी आई है. इसका निर्यात भी बंद किया गया था लेकिन वापस शुरू कर दिया गया. हालांकि ये दवा एंटी मलेरिया ड्रग क्लोरोक्वीन से थोड़ी अलग दवा है. यह एक टेबलेट है, जिसका उपयोग ऑटोइम्यून रोगों जैसे कि संधिशोथ के इलाज में किया जाता है, लेकिन इसे कोरोना से बचाव में इस्तेमाल किए जाने की बात भी सामने आई है.