कोरोना से लड़ाई में क्या हमारा अभिशाप ही वरदान बन रहा है… दुनिया के वैज्ञानिकों को भी यही लग रहा, पर रहना होगा सतर्क

कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया पर टूट रहा है। भारत में इस बीमारी के दस्तक दिए करीब सवा दो महीने हो चुके हैं, लेकिन सौभाग्य से इसका प्रकोप उस रूप में अभी तक नहीं दिखा है, जितना दूसरे देशों में देखने को मिला। तो क्या हमारा एक अभिशाप ही वरदान बन गया है ? दुनियाभर के वैज्ञानिक भी मान रहे हैं भारत का मलेरिया प्रभावित होना इसे कोरोना के कहर से एक हद तक बचा रहा है, क्योंकि दुनिया में वो सारे देश जहां मलेरिया का प्रकोप है, वहां कोरोना का कहर ज्यादा देखने को नहीं मिला। ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) ही अभी तक कोरोना की सबसे कारगर दवा मानी जा रही है।

कोरोना वायरस से बचाव में मलेरिया की दवा है कारगर
पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) के प्रमुख डॉ. के श्रीनाथ रेड्डी का कहना है कि कि इस वक्त कोरोना वायरस से बचाव में मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) ही सबसे ज्यादा कारगर दवा के रूप में उभरी है. अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया समेत कई यूरोपीयन देश इसी दवा से कोरोना वायरस का इलाज कर रहे हैं. हम वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना वायरस और मलेरिया देशों के बीच के रिश्ते की समीक्षा कर रहे हैं. हालांकि अभी इस संबंध में कुछ भी कह पाना उचित नहीं है. लेकिन ये बात सच है कि अन्य देशों के मुकाबले भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण काफी कम है.

मलेरिया और कोरोना के बीच कुछ कुछ संबंध दिख रहा है। अभी तक जहां मलेरिया की बीमारी नहीं है वहां कोरोना वायरस काफी गंभीर हमले कर रहा है. मसलन, अमेरिका में 3.37 लाख, स्पेन में 1.31 लाख, इटली में 1.28 लाख और चीन में 82 हजार से ज्यादा लोग कोरोना वायरस संक्रमित हुए हैं. जबकि ऐसे देश जहां मलेरिया संक्रमण ज्यादा है वहां कोरोना के मामले भी कम दिखे हैं, जैसे दक्षिण अफ्रीका में 1655, नाईजीरिया में 232, घाना में 214 और भारत में 4288 मामले सामने आए हैं. फिर भी हमें सतर्क रहना होगा। भले ही यह उतनी तेजी से ना फैले, लेकिन यह बीमारी फैल भी रही है और लोगों की जान भी ले रही।