निसंतान दंपतियों के लिए बड़ी खबर, शोध से मिली ये बड़ी जानकारी

नई दिल्ली: अंडों को फ्रीज करने की सफलता की दर सामान्य इन विट्रो फर्टिलाइजेशन जैसी ही है। अन्य देशों में अंडों को फ्रीज करने के संबंध में किए शोधों की तुलना करते हुए ये शोध किया गया। यह नया शोध 30,000 फ्रीज किए गए अंडों पर आधारित था, जिन पर 15 सालों तक अध्ययन किया गया।

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15 साल के अध्ययन निष्कर्षों से पता चला कि प्रति भ्रूण स्थानांतरण में कुल जीवित जन्म दर 26 प्रतिशत थी। ये अध्ययन रिपोर्ट पत्रिका रिप्रोडक्टिव बायोमेडिसिन ऑनलाइन में प्रकाशित की गई। यह दर महिला की उम्र पर निर्भर करता है। देखा गया कि 35 वर्ष से अधिक आयु वाली महिलाओं में यह दर कम थी, वहीं 40 वर्ष से अधिक आयु वालों में यह दर केवल 5 प्रतिशत थी।

अध्ययन के अनुसार पिघले हुए अंडों से विकसित सभी भ्रूणों को स्थानांतरित करने के बाद कुल जीवित जन्म दर 34 प्रतिशत थी, जो 36 वर्ष की आयु से पहले अपने अंडों को फ्रीज कराने वाली महिलाओं में बढ़कर 45 प्रतिशत हो गई। लंदन महिला क्लिनिक के चिकित्सा निदेशक प्रोफेसर निक मैकलॉन के अनुसार ये परिणाम राष्ट्रीय स्तर पर नियमित आईवीएफ में दर्ज परिणामों के बराबर हैं।

एग फ्रीजिंग चाहने वाली महिलाओं की संख्या 2015 में 150 थी जो 2022 में बढ़कर 800 से अधिक हो गई। फिर भी केवल 14 प्रतिशत ही अपने अंडों को मेल्ट के लिए वापस आती हैं। 2,171 रोगियों में से 299 वापस लौटीं, और 332 ने इस चक्र को पूरा किया। अध्ययन में पता चला कि कम्युलेटिव लाइव बर्थ रेट 36 प्रतिशत है, जो 35 वर्ष से कम आयु में अंडों को फ्रीज कराने वालों के लिए बढ़कर 57 प्रतिशत हो गई है। फ्रीज-ऑल चक्रों में जीवित जन्म दर 30 प्रतिशत थी, जो क्रोमोजोमल स्क्रीनिंग के साथ बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई। 40 वर्ष से ज्‍यादा आयु की महिलाओं में सभी जीवित जन्म जांचे गए भ्रूणों से हुए थे। कुछ संशय के बावजूद ये परिणाम दिखाते है कि अंडे को फ्रीज करना और पिघलाना आईवीएफ के समान गर्भधारण का व्यवहार्य मार्ग है।