चाहे जितनी सख्ती बरतनी पड़े, 31 मई तक महाराष्ट्र को करेंगे कोरोना मुक्त: उद्धव ठाकरे

मुंबई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण पर सख्त रूख कायम कर लिया है। उन्होंने सोमवार को सभी जिलों के अफसरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की और उन्हें हर हाल में 31 मार्च तक राज्य को कोरोना मुक्त करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर अफसर को अपना इलाका ग्रीन जोन में लाना होगा, भले चाहे इसके लिए कितनी भी सख्ती क्यों न करनी पड़े। उन्होंने कहा कि कलेक्टर स्थानीय स्तर पर हर जरूरी फैसला ले सकते हैं, लेकिन कोरोना को नियंत्रित करने में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। 

राज्य में सोमवार को कोरोनावायरस संक्रमण के 771 नए मामले आए। इसके बाद कुल संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 14 हजार 541 पहुंच गया। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले 24 घंटे में वायरस से 35 और लोगों की मौत हो गई। राज्य में संक्रमण से मरने वालों की संख्या 583 पहुंच गई। अब तक 2465 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। आर्थिक राजधानी मुंबई की बात करें तो यहां संक्रमितों की संख्या 9123 हो गई है।  सोमवार को शहर में 18 संक्रमितों को जान गंवानी पड़ी।

बीडीडी चॉल अगले सात दिनों के लिए बंद की गई
मुंबई के सबसे ज्यादा संक्रमण प्रभावित वर्ली इलाके में स्थित बीडीडी चॉल इमारतों को अगले सात दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। इन इमारतों में अब तक 40 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। पूरे वर्ली में 817 संक्रमित हैं। वर्ली और एनएम जोशी मार्ग मुंबई का सबसे अधिक कोरोना प्रभावित इलाका है। बीडीडी चॉल में रहने वाले लोग लॉकडाउन के बावजूद सड़कों पर घूम रहे थे।

अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जा रही

कोरोना के गंभीर मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या देखते हुए बृहन्मंबई म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (बीएमसी) ने अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया है। स्वास्थ्य विभाग अलग-अलग अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या 3 हजार से बढ़ाकर 4 हजार 750 करने की योजना पर काम कर रहा है। इसके तहत केईएम, नायर, सेंट जॉर्ज और सेवन हिल्स अस्पताल में बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

बीएमसी ने शुरू की बुजुर्गों की जांच
कोरोना की चपेट में बड़ी संख्या में बुजुर्गों के आने के बाद बीएमसी ने घर-घर जाकर वरिष्ठ नागरिकों की जांच करनी शुरू की है। स्वास्थ्य कर्मियों ने अब तक झुग्गी बस्तियों में 3 लाख 43 हजार 717 घरों में पहुंचकर 42 हजार 752 बुजुर्गों की जांच की।