इधर, अस्पताल के बाहर एंबुलेंस में गर्भवती की मौत; उधर, खाट पर लेकर 5 किमी पैदल चले, रास्ते में डिलीवरी

  • एक दिन में दो जिलों की दो तस्वीरें, दोनों ही शर्मसार करने वाली

रायपुर, छत्तीसगढ़ के दो जिलों की दो तस्वीरों ने राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल दी है। एक दिन पहले एम्स मेें तीसरी मंजिल से कूद कर जान देने वाले बुजुर्ग के बाद एंबुलेंस में गर्भवती महिला की मौत ने पूरे सिस्टम को हिला कर रख दिया है। पहली तस्वीर, प्रदेश की राजधानी कहे जाने वाले रायपुर के जिला अस्पताल के बाहर एंबुलेंस से आई गर्भवती महिला ने इलाज के अभाव में दम तोड दिया। रायपुर के जिला अस्पताल के बाहर एंबुलेंस में महिला को देखकर डाक्टर चले गए, उन्होंने महिला को अस्पताल में भर्ती नहीं कि​या। दूसरी तस्वीर,कोरबा के पाली ब्लॉक की है। यहां राज्य बनने के 20 साल बाद भी सड़कें नहीं बनी हैं लिहाजा गर्भवती महिला को खाट पर लेकर परिजन 5 किमी पैदल चले, लेकिन रास्ते में डिलीवरी हो गई।

दरअसल, उरला के ग्राम भिंभौरी निवासी आरती साहू (24) पत्नी कौशल साहू गर्भवती थी। कौशल उसे गुरुवार दोपहर 108 एंबुलेंस से लेकर जिला अस्पताल पहुंचा। यहां वह बार-बार पत्नी को अंदर भर्ती कराने की बात कहता रहा, लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी। कौशल का आरोप है कि एक डॉक्टर उसकी पत्नी को देखने आई, लेकिन वापस चली गई। थोड़ी देर बाद बाहर ही एंबुलेंस में आरती ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया।

महिला की पहले ही हो चुकी थी मौत : डॉ रवि

अस्पताल के इंचार्ज डॉ. रवि तिवारी ने बताया कि महिला की पहले घर में डिलीवरी कराने का प्रयास किया गया। जब उसकी हालत बिगड़ी तो अस्पताल लेकर आए। यहां जूनियर डॉक्टर ने उसे देखा तो एंबुलेंस में महिला की मौत हो चुकी थी।

डिलीवरी के बाद बिगड़ी तबियत, नहीं पहुंच पाई एंबुलेंस

पाली ब्लॉक के सुनाईपुर गांव जाने के लिए सड़क नहीं है। ऐसे में रघुनाथ धनुहार की पत्नी सुशीला बाई को सुबह प्रसव पीड़ा हुई। इस पर परिजन उसे खाट में लेकर पैदल ही अस्पताल के लिए निकले। 5 किमी चलने पर रास्ते में उसकी डिलीवरी हो गई। इसके बाद महिला की हालत गंभीर हो गई। परिजनों ने महतारी एक्सप्रेस ‘102’ से संपर्क किया, पर वो भी पोटपानी तक ही पहुंच पाई। पाली ब्लॉक के सुनाईपुर गांव जाने के लिए सड़क नहीं है। गांव में 300 की आबादी है। अगर किसी गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाना हो तो उन्हें देहाती एंबुलेंस यानी खाट की डोली में ले जाया जाता है। दो लोग इसे कंधे पर उठाकर पहाड़ी रास्ते से पोटापानी तक पहुंचते हैं।

खाट की डोली ही है एंबुलेंस

ऐसे में ग्रामीणों की मदद से परिजन सुशीला बाई को खाट से ही पैदल किसी पोटापानी तक पहुंचाया। यहां महतारी एक्सप्रेस से उसे पाली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। गांव में 300 की आबादी है। अगर किसी गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाना हो तो उन्हें देहाती एंबुलेंस यानी खाट की डोली में ले जाया जाता है। दो लोग इसे कंधे पर उठाकर पहाड़ी रास्ते से पोटापानी तक पहुंचते हैं।