Handwara Encounter: सिविलयन को बचाते हुए शहीद हो गए कर्नल आशुतोष, नाम से ही कांपते थे आतंकवादी

जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में रविवार को आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में भारत ने अपने  5 बहादुर जवानों को खो दिया। आतंकियों से लोहा लेने के दौरान भारतीय सेना के दो अफसर समेत 5 जवान शहीद हो गए। हालांकि, उन्होंने दो आतकंवादियों को मौत के घाट उतार दिया। एनकाउंटर में शहीद जवानों में कर्नल आशुतोष शर्मा का नाम भी शामिल है, जिनकी अगुआई में भारतीय सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ कई ऑपरेशनों को अंजाम दिया। आतंकवादी कर्नल के नाम से ही खौफ खाते थे।

सेना की संयुक्त टीम ने इलाके में आतंकियों की मौजूदी की सूचना पर तलाशी अभियान चलाया था। इस दौरान आतंकी एक घर में मौजूद थे और उस घर में रहने वाले लोगों को बंधक भी बना रखा था। शनिवार शाम करीब 3 बजकर 30 मिनट पर कर्नल शर्मा के नेतृत्व में एक टीम ने घर में घुसकर बंधक बनाए गए लोगों को बचाने में सफलता पाई। हालांकि इस दौरान आतंकियों की ओर से लगातार फायरिंग हो रही थी।

सूत्रों के मुताबिक जवानों के उस घर से निकलते समय आतंकियों ने उनको फिर से निशाना बनाना शुरू किया। जवानों की ओर से भी जवाबी कार्रवाई शुरू की गई। इस दौरान जवानों का उनकी टीम से संपर्क टूट गया। कई प्रयासों के बावजूद टीम के साथ संपर्क स्थापित नहीं हो सका। इसी दौरान कर्नल आशुतोष शर्मा के फोन पर कॉल की गई। जिसे एक आतंकी ने उठाया और बोला अस्सलाम वालेकुम। इसके बाद विशेष सुरक्षाबलों को ऑपरेशन में शामिल किया गया।

चूंकि कर्नल आशुतोष शर्मा के नेतृत्व वाली टीम अंदर थी। साथ ही संपर्क भी नहीं हो पा रहा था। इसलिए सुरक्षाबलों ने अत्यधिक सावधानी बरती ताकि उन्हें नुकसान न पहुंचे। लेकिन आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच रुक-रुककर गोलाबारी होती रही। बारिश और अंधेरे के कारण ऑपरेशन को कुछ समय के लिए रोक दिया गया। इसी दौरान भागने की कोशिश कर रहे दो आतंकियों को सेना ने मार गिराया।

दरअसल, 21 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर रहे कर्नल आशुतोष अपने आतंक रोधी अभियानों में साहस और वीरता के लिए दो बार वीरता पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। इतना ही नहीं, शहीद आशुतोष कर्नल रैंक के ऐसे पहले कमांडिंग अफसर थे, जिन्होंने पिछले पांच साल में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में अपनी जान गंवाई हो। इससे पहले साल 2015 के जनवरी में कश्मीर घाटी में आतंकियों से लोहा लेने के दौरान कर्नल एमएन राय शहीद हो गए थे। इसके अलावा, उसी साल नवंबर में कर्नल संतोष महादिक भी आतंकियों के खिलाफ अभियान में शहीद हो गए थे। 

सेना के अधिकारियों के मुताबिक, कर्नल आशुतोष शर्मा काफी लंबे समय से गार्ड रेजिमेंट में रहकर घाटी में तैनात थे और वह आतंकवादियों के खिलाफ बहादुरी के लिए दो बार सेना मेडल से सम्मानित किए जा चुके हैं। आतंकियों को सबक सिखाने के लिए वह जाने जाते थे।