रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के मुद्दे पर सरकार और शिक्षक संघ आमने-सामने आ गए हैं। सरकार हर हाल में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को पूरा करना चाह रही है, वहीं इसके विरोध में प्रदेश भर के करीब दो दर्जन शिक्षक संघ एकजुट हो गए हैं। शिक्षक संघ जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं कि इस प्रक्रिया को रुकवा दे।
28 मई को शिक्षक संघ ने मंत्रालय घेराव का ऐलान किया है। लेकिन उससे एक दिन पहले आज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने साफ कहा कि युक्तियुक्तकरण प्रदेश के बच्चों के हित में है।
मुख्यमंत्री के इस बयान से शिक्षक संघ भड़क गया है। शिक्षक संघ ने इस बयान को समझ से परे बताया है। संघ का सवाल है, क्या स्कूलों को बंद करना, 43000 शिक्षकों के पद समाप्त करना – बच्चों के हित में है?
इन बिंदुओं पर शिक्षक संघ ने सरकार से सवाल किया है,
युतियुक्तकरण को लेकर माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी के द्वारा बयान दिया गया है कि “युतियुक्तकरण बच्चों के हित में है।” उनका यह बयान समझ से परे है। इस युतियुक्तकरण से जहां हजारों स्कूल बंद हो रहे हैं वहीं 43000 से भी अधिक शिक्षकों के पद समाप्त हो रहे है। ये कैसा बच्चों का हित है समझ से परे है।
प्राथमिक शाला में जहां 60 की दर्ज पर एक प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षक कुल तीन शिक्षक थे। जिन्हें मिलकर बीस पीरियड पढ़ाना था। अब वहां सिर्फ दो शिक्षक होंगे।
माध्यमिक शाला में 105 दर्ज तक एक प्रधान पाठक और चार शिक्षक कुल 05 शिक्षक थे। अब कुल 04 शिक्षक होंगे। यहां विषय आधारित (हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, संस्कृत, सामाजिक विज्ञान) 18 पीरियड का शिक्षण होता हैं। प्रत्येक विषय का जानकार शिक्षक होना जरूरी हैं।
एक परिसर में प्राथमिक, माध्यमिक, हायर सेकेंडरी स्कूल होने पर वह मर्ज हो जाएगा और प्राथमिक,माध्यमिक के प्रधान पाठक का पद समाप्त हो जाएगा। हायर सेकेंडरी का प्राचार्य ही संस्था प्रमुख के रूप में होगा। प्राथमिक, माध्यमिक, हायर सेकेंडरी स्कूल की पढ़ाई की अवधारणा अलग-अलग होता हैं। जिसके गुणवत्ता के लिए संस्था प्रमुख की अहम भूमिका होती हैं।
सर्व शैक्षिक संगठन के प्रांतीय संचालक केदार जैन ने कहां है कि क्या स्कूलों में शिक्षकों की संख्या को कम करना, संस्था प्रमुख के पद को समाप्त करना, विषय आधारित पर्याप्त शिक्षक नहीं रखना, स्कूलो को बंद करना और शिक्षकों के पद को समाप्त करना बच्चों के हित में है ? यह बात तो समझ से परे है। हमारा स्पष्ट मानना है कि इस युक्तियुक्तकरण से प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी और जिसका बड़ा नुकसान प्रदेश के गरीब, पिछड़े, आदिवासी, निचले तपके के बच्चों और पालको को होगा। जबकि निजी स्कूलों को इसका लाभ होगा।
इसलिए माननीय मुख्यमंत्री महोदय से हमारा विनम्रता पूर्वक आग्रह है कि इस युक्तियुक्तकरण में जो विसंगतियां है, उस पर शैक्षिक संगठनों से चर्चा कर दूर करें फिर उसे लागू करने की कृपा करे। जहां स्वीकृत पद से अधिक शिक्षक पदस्थ हैं जरूर उनको दूसरी संस्थाओं में भेजना चाहिए लेकिन इसके लिए उन अधिकारियों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए जो लगातार निजी लाभ के लिए इस प्रकार के कृत्य को अंजाम देते हैं।
जब तक ऐसे अधिकारियों पर सरकार लगाम नहीं लगाएगी तब तक यह होता रहेगा और निर्दोष शिक्षक , बच्चे और पालक इसके शिकार होंते रहेंगे।