रायपुर। कभी जीरो पेशेंट की स्थिति लाकर पूरे देश में कोरोना से निपटने में रोल मॉडल बन कर उभरे छत्तीसगढ़ में अब हालात बदतर होते जा रहे हैं..। खास कर राजधानी रायपुर में पानी नाक तक पहुंच गया है। यहां कोरोना विस्फोट की स्थिति आ पहुंची है और कोरोना अस्पताल लगभग फुल हो चुके हैं..। ऐसे में अगर इसी रफ्तार से मरीजों का मिलना थोड़े दिन और भी जारी रहा तो कोरोना मरीजों को बेड मिलना भी दूभर हो जाएगा।
प्रदेश में कोरोना मरीजों के लिए सबसे ज्यादा बेड राजधानी में हैं। लेकिन यहां के अंबेडकर अस्पताल और एम्स मरीजों से लगभग पैक हो गए हैं। माना कोविड अस्पताल दो दिन पहले खुला है और वहां बमुश्किल दर्जनभर बेड ही बच गए हैं। अब सिर्फ दो विकल्प बचे हैं। लालपुर कोविड अस्पताल और रावांभाठा ईएसआईसी अस्पताल । अंबेडकर-एम्स और माना में की लगभग फुल होचुकी स्थिति को देखते हुए बुधवार से ही ईएसआईसी अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने का सिलसिला शुरू हो गया।
पानी नाक तक
राजधानी में 100 के आस-पास मरीज रोज मिल रहे हैं..। ऐसी स्थिति एक सप्ताह भी जारी रही तो हालात बेकाबू होंगे। राजधानी के कोविड अस्पतालों में महज 400 बेड ही खाली बचे हैं। नए मरीज के सामने आने और भर्ती मरीज के डिस्चार्ज होने की दर को मिला लें तो सप्ताह भर में ही सभी अस्पताल पैक हो जाएंगे..। फिर नए मरीज को बेड देना भी मुश्किल हो जाएगा।
बेड बढ़ाने की तैयारी
एम्स अस्पताल में अभी 225 से ज्यादा मरीज हैं। यहां 200 बेड गंभीर व अतिगंभीर कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व रखे गए हैं। अंबेडकर अस्पताल में 500 बेड हैं, जिनमें से 450 में मरीज भर्ती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए एम्स में बिस्तर क्षमता 500 और अंबेडकर अस्पताल में बिस्तरों की क्षमता 700 करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।