2021 से पहले कोरोना का वैक्सीन आना संभव नहीं, भारतीय वैज्ञानिकों ने जताई आशंका

शीर्ष भारतीय वैज्ञानिकों का कहना है कि संक्रमण के तेजी से दुनियाभर में फैलाव के बीच समय के विपरीत चल रही वैक्सीन खोज की दौड़ को वर्ष 2021 से पहले जीतना संभव नहीं दिख रहा है। फरीदाबाद स्थित ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक गगनदीप कंग के मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी को हराने के लिए विस्तार और गति के हिसाब से वैश्विक शोध और विकास प्रयास बेहद बेमिसाल हैं।

लेकिन सीईपीआई (महामारी तैयारी नवाचार गठबंधन) के वाइस चेयरमैन पद पर भी नियुक्त कंग का यह भी कहना है कि किसी भी वैक्सीन के परीक्षण की प्रक्रिया बहुस्तरीय, जटिल और कई अन्य चुनौतियों वाली होती है। इसके चलते सार्स-कोव-2 (कोविड-19) की वैक्सीन तलाशने में भले ही अन्य बीमारियों की वैक्सीन की तरह 10 साल नहीं लगेंगे, लेकिन किसी वैक्सीन को तलाशने के बाद उसे सुरक्षित, प्रभावी और बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराने के लिए कम से कम एक साल का समय अवश्य लगेगा।

केरल के राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी के चीफ साइंटिफिक ऑफिसर ई. श्रीकुमार और हैदराबाद के सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलीक्यूलर बायलॉजी के निदेशक राकेश मिश्रा भी मानते हैं कि किसी वैक्सीन को तैयार करने में कई साल का समय लगता है। परीक्षण के विभिन्न स्तरों को पार करने और उसके बाद मंजूरी मिलने में लगने वाले समय के चलते इस साल कोरोना वायरस की वैक्सीन उपलब्ध होना संभव नहीं है।

बता दें कि कोरोना वायरस (कोविड-19) का संक्रमण वैश्विक स्तर पर 19 लाख से ज्यादा लोगों को पीड़ित कर चुका है, जबकि 1.26 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इस जानलेवा महामारी का तोड़ तलाशने में जुटे हुए हैं।