शिक्षक नेता के फर्जीवाड़े का हिसाब किताब शुरू,अब देना होगा जवाब, नहीं तो बीबी की नौकरी गई…

रायपुर. शिक्षक संजय शर्मा की पत्नी ने फर्जीवाड़ा कर नौकरी हासिल किया. कभी शिक्षाकर्मी की जॉब लगी ही नहीं. अचानक ट्रांसफर लिस्ट में नाम आया, और नौकरी शुरू. तीन तीन जांच में फर्जीवाड़ा की पुष्टि हो चुकी है, आज डीपीआई ने समन कर जवाब मांगा है. जवाब नहीं दिया तो पत्नी की नौकरी जाएगी.

कहते हैं फर्जीवाड़े की पोल एक न एक दिन खुलती ही है और ऐसा ही हुआ है चंद्ररेखा शर्मा के मामले में । शिक्षक नेता की धर्मपत्नी ने बिना नौकरी हासिल किए 17 साल फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी कर ली और 43% अंकों के साथ सहायक शिक्षक बनकर समाज में सम्मानित होती रही , पता नहीं किनकी बुरी नजर उनको लग गई और अचानक से सामने आए एक शिकायतकर्ता हरेश बंजारे ने अब सारे समीकरण ही उलट पलट कर रख दिए ।

जब मामले की शुरुआत हुई थी तब ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था की दस्तावेज हाथ आएंगे आमतौर पर ऐसे मामलों में दस्तावेज आते भी नहीं है लेकिन हरेश बंजारे ने सब कुछ निकाल कर सामने रख दिया और उसी का परिणाम है की जेडी बिलासपुर ने स्वयं मामले की जांच की और दो अलग-अलग जांच में महिला शिक्षिका की नियुक्ति को पूर्णरूपेण फर्जी पाया इसके बाद उन्होंने अग्रिम कार्रवाई के लिए मामले को डीपीआई को प्रेषित कर दिया है और डीपीआई द्वारा चंद्ररेखा शर्मा को आज 25 नवंबर को समक्ष में प्रस्तुत होने को निर्देशित किया है । हो सकता है कि चंद्ररेखा शर्मा जेडी की जांच की तरह ही इस दिन हाजिर न हो और पुनः समय मांगे इसकी प्रबल संभावना है और यदि वह डीपीआई के समक्ष उपस्थित होती है तो उन्हें इन सवालों के जवाब देने होंगे ।

  1. पत्थलगांव में नियुक्ति के दौरान उन्होंने किस स्कूल में अपनी सेवाएं दी क्योंकि जिस स्कूल में नियुक्ति उन्होंने बताई है वहां की प्रधान पाठक और स्टाफ ने लिखकर दे दिया है कि उन्होंने कभी कार्यभार ग्रहण किया ही नहीं है ।
  2. चंद्ररेखा शर्मा ने कोई भी ओरिजिनल दस्तावेज न होने की बात लिखित रूप में विभाग को दी है और जो डुप्लीकेट दस्तावेज दिए हैं उसमें आदेश क्रमांक नहीं है साथ ही उनके सर्विस बुक में जो आदेश क्रमांक इंद्राज है वह नीलम टोप्पो के आदेश क्रमांक का है ।
  3. सबसे बड़ी बात यह है कि उन्हें अपनी नियुक्ति को सही साबित करना होगा क्योंकि 11 जनवरी 2007 को नगर पंचायत पत्थलगांव द्वारा आदिवासी महिला की नियुक्ति एस टी कैटेगरी में 65% अंकों के साथ हुई है ऐसे में 43% अंकों के साथ सामान्य वर्ग की महिला की नियुक्ति होना संभव ही नहीं था।
  4. चंद्ररेखा शर्मा अपने वेतन के संबंध में भी कोई जानकारी नहीं दे पा रही हैं जबकि हर कर्मचारी को यह पता होता है कि उसे वेतन कौन से बैंक के खाते में मिला है । वह बैंक का नाम तक नहीं बता पा रही है ।
  5. चंद्ररेखा शर्मा की जांच के दौरान बीईओ बिल्हा ने चंद्ररेखा शर्मा के स्व हस्ताक्षर वाले दस्तावेज जमा किए इसमें एक नया फर्जी दस्तावेज शामिल किया गया जो कि नगर पंचायत पत्थलगांव के नाम से तैयार किया गया है , इस दस्तावेज के माध्यम से चंद्ररेखा शर्मा की सर्विस बुक और अंतिम वेतन प्रमाण पत्र भेजा जाना बताया गया है जबकि इससे पहले विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से जारी दो दस्तावेज सर्विस बुक प्रेषित करने और अंतिम वेतन प्रमाण पत्र प्रेषित करने के संबंध में पहले से जमा थे ।
  6. चंद्ररेखा शर्मा ने खुद की नियुक्ति जनपद पंचायत पत्थलगांव में बताकर जनपद पंचायत बिल्हा से NOC लिया था और बाद में पेन से उसमें काट छांट किया गया है । यही नहीं, जो ट्रांसफर आदेश उनके द्वारा प्रस्तुत किया गया है उसमें नगर पंचायत पत्थलगांव ने उनकी पदस्थापना सीधे शासकीय प्राथमिक शाला मोपका विकासखंड बिल्हा में की है । यह संभव ही नहीं है कि कोई नगर पंचायत किसी अन्य जिले के किसी अन्य स्कूल में किसी कर्मचारी की पदस्थापना कर दें ।

हैरानी की बात है की खुद को नियमों का जानकार बताने वाले शिक्षक नेता की पत्नी के मामले में इतने लूपहोल हैं कि किसी को भी यह बात समझ में आ जाएगी की नियुक्ति पूर्णरूपेण से फर्जी है और 13 महीना से मामला मीडिया में होने के बावजूद एक भी बार शिक्षक नेता ने इस मामले में खुलकर बात नहीं की है जबकि अन्य मामलों में वह सरकार और अधिकारियों पर लगातार सवाल उठाते रहते हैं लेकिन खुद के घर के मामले में उनकी चुप्पी हैरान कर देने वाली है , मीडिया को उनका दो टूक जवाब होता है कि मेरी पत्नी की नियुक्ति सही है और विभाग उनकी जांच कर रहा है और सच सामने आएगा जबकि विभागीय जांच में एक बार नहीं बल्कि तीन बार उनकी पत्नी फर्जी साबित हो चुकी है , यही नहीं जो संजय शर्मा सुप्रीम कोर्ट के फैसले वाले मामले में भी बयान देने से नहीं चूकते जो आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन करते हुए मंत्री से मिलने में नहीं चूकते वह अपनी पत्नी के मामले में विभागीय जांच चल रही है जैसे दो लाइन बोलने के अलावा कुछ भी नहीं बोलते । कोई भी व्यक्ति जिसके ऊपर निराधार आरोप लगाया जाता है वह सामने आकर अपना पक्ष अवश्य रखना है खास तौर पर यदि वह जननेता हो तो ऐसे में शिक्षक नेता की चुप्पी अवश्य बताती है कि मामला पूरा गड़बड़ है । बताने वाले तो यह भी बताते हैं कि यह तो केवल एक मात्र ट्रेलर है पूरे पिक्चर में तो बहुत से ऐसे नियुक्तियों का रैकेट सामने आएगा जिसका सरगना प्रदेश का एक चर्चित चेहरा है।

इस मुद्दे पर विधायक प्रत्याशी रहे संजीत बर्मन ने सीधे तौर पर यह आरोप लगाया है कि एक जाति विशेष की अधिकारी एक जाति विशेष की कर्मचारियों को संरक्षण प्रदान कर रही है और जानबूझकर मामले में लेटलतीफी की जा रही है हालांकि देर आए दुरुस्त आए के तर्ज पर अब डीपीआई ने महिला कर्मचारी को अपना पक्ष रखने के लिए अवसर दिया है । इधर शिकायतकर्ता का कहना है कि जब तक इस मामले में कार्रवाई नहीं होगी हम शांत नहीं बैठेंगे , अगर कुछ लोग इस तरीके से नौकरी हथिया लेंगे तो जो योग्य है उन्हें तो कभी नौकरी मिलेगी ही नहीं .