नई दिल्ली: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया था। अयोध्या में यह विवाद सदियों से चला आ रहा था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन का मालिकाना हक राम लला को दिया था। जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा गया था। यानी सुन्नी वफ्फ बोर्ड को कोर्ट ने अयोध्या में ही अलग जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र या राज्य सरकार अयोध्या में उचित स्थान पर मस्जिद बनाने को जमीन दे। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही सरकार को एक नया ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया था जिसे वह जमीन मंदिर निर्माण के लिए दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कुल 18 पुनर्विचार याचिकाएं डाली गई थीं। बंद चैंबर में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 18 अर्जियों पर सुनवाई की और सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं। बता दें कि इस मामले में 9 याचिकाएं पक्षकार की ओर से, जबकि 9 अन्य याचिकाकर्ता की ओर से लगाई गई थी।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुनाए जाने के बाद भी पक्षकारों के पास एक और विकल्प होगा। कोर्ट के फैसले के खिलाफ यह अंतिम विकल्प है जिसे क्यूरेटिव पिटीशन (उपचार याचिका) कहा जाता है।
हालांकि क्यूरेटिव पिटीशन पुनर्विचार याचिका से थोड़ा अलग है। इसमें फैसले की जगह मामले में उन मुद्दों या विषयों को चिन्हित करना होता है जिसमें उन्हें लगता है कि इन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। इस क्यूरेटिव पिटीशन पर भी बेंच सुनवाई कर सकता है या फिर उसे खारिज कर सकता है। इस स्तर पर फैसला होने के बाद केस खत्म हो जाता है और जो भी निर्णय आता है वही सर्वमान्य हो जाता है।