जिस मिशन का जिम्मा कंधे पर उसी का फुल फार्म नहीं पता राज्य के डीईओ को

रायपुर. द वायस 24 डेस्क। कहते हैं ना दीया तले अंधेरा। जिन लोगों के कंधे पर शिक्षा की अलख जगाने का जिम्मा हो, उन्हें ही अपने मिशन का नाम नहीं पता हो तो यही कहेंगे ना। स्कूल शिक्षा में देशभर के राज्यों में सबसे निचले पायदान पर कब्जा जमाए रहने वाले छत्तीसगढ़ की फिर से बद पिटवाई है यहां के जिला शिक्षा अधिकारियों ने. उन्हें शिक्षा विभाग के पोर्टल दीक्षा का फुल फार्म तक नहीं पता है।

 दरअसल, राजधानी में स्कूल शिक्षा विभाग की अहम समीक्षा बैठक हुई। डायरेक्टर एससीईआरटी पी दयानंद ने शिक्षा विभाग के महत्वाकांक्षी पोर्टल दीक्षा का फुलफार्म पूछा तो सारे डीईओ बगले झांकने लगे। DIKSHA का फुलफार्म होता है, डिजिटल नालेज शेयरिंग। DI से डिजिटल, K से नालेज, SHA से शेयरिंग।

इसके बाद उनसे पूछा गया कि कितने डीईओ ने क्यूआर कोड से पुस्तकों को देखा है, इसके जवाब में मात्र तीन डीईओ ने हाथ उठाये। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम की अध्यक्षता में आयोजित स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में बताया गया कि व्यापम द्वारा शिक्षकों की सीधी भर्ती के रिक्त पदों के चयन परीक्षा के परिणाम शीघ्र ही घोषित होने वाले हैं। इस संबंध में संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा और जिला शिक्षा अधिकारी भर्ती की प्रक्रिया के संबंध में आवश्यक तैयारियां कर लें। इसी प्रकार रिक्त पदों पर पदोन्नति भी की जानी है। इसके लिए पदोन्नति के नए नियमानुसार रोस्टर का पालन करते हुए कार्यवाही की तैयारी कर ली जाए। संभागीय शिक्षा अधिकारियों को व्याख्याताओं के विषयवार रिक्त पदों की जानकारी 30 नवम्बर तक संचालक लोक शिक्षक को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है।
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा गौरव द्विवेदी ने कहा कि विभाग की उपस्थिति गांव-गांव, मजरे-टोलों तक है। विभाग के अधिकारियों, शिक्षकों, स्कूली बच्चों पर अनुशासन बनाकर रखना जिला शिक्षा अधिकारी की जवाबदारी है। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता सुधार के लिए प्रदेश में नवाचार का उद्देश्य राज्य के बच्चों को राष्ट्रीय स्तर तक की किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार करना है। इसके लिए प्रदेश में कक्षा पहली से 8वीं तक एक साथ परीक्षाओं का आयोजन, केन्द्रीयकृत प्रश्नपत्र की तैयारी और कक्षा 9वीं से 12वीं तक की परीक्षाओं का प्रयास के प्रयास शुरू हुए हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की ओर से भी शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार के काफी प्रयास हो रहे हैं। मैदानी स्तर पर इसका पालन मेहनत और लगन से होने पर ही सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्मार्ट क्लास का काम भी चल रहा है। स्कूल और शिक्षकों को आधुनिक तकनीक से सुसंगत कर स्मार्ट बनाया जा रहा है। इस काम को और तेजी से आगे बढ़ाना है।