रायपुर। रायपुर से विधायक एवं संसदीय सचिव विकास उपाध्याय आज जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक के बीच कहा कि मोदी सरकार भले ही कर्ज ले, लेकिन राज्यों को दी जाने वाली जीएसटी की राशि का भुगतान करें। उन्होंने कहा कि सारे राज्य आर्थिक संकट में हैं। यह मोदी सरकार की गलत नीतियों की वजह से हुआ है। र
उन्होंने कहा कि नोटबंदी की तरह यह कानून भी जल्दबाजी में लिया गया साबित हो गया है। केंद्र सरकार पर राज्यों को दिये जाने वाले गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी के लगभग 44 हजार करोड़ रुपये बकाया है। विकास ने मांग की है कि केन्द्र सरकार कर्ज लेकर राज्यों का भुगतान करे क्योंकि सारे राज्य आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं।
उन्होंने छत्तीसगढ़ के उन भाजपा नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि क्या इनको केन्द्र सरकार की ये नाकामी नहीं दिखाई देती जो मूकदर्शक बने हुए हैं।विकास उपाध्याय ने कहा गुड्स एंड सर्विस टैक्स कानून के तहत राज्यों को जीएसटी लागू करने के बाद पांच साल तक राजस्व में होने वाले नुकसान के बदले मुआवजा देने का प्रावधान है।ऐसे में, राज्यों को मुआवजा नहीं दे पा रही केंद्र सरकार को इस विषय पर आत्ममंथन करने की जरूरत है,कि आखिर वह अपने ही बनाये कानून का पालन क्यों नहीं कर पा रही है। जबकि महामारी के इस संकट काल में राज्यों को इस पैसे की जरूरत पहले से कहीं ज़्यादा है।
विकास उपाध्याय ने कहा कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने भी इस बात पर आपत्ति जाहिर की थी कि 11 अगस्त को वित्त मामलों पर संसद की ‘स्टैंडिंग कमिटी’ के सामने भारत के वित्त सचिव का यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण था कि केंद्र इस स्थिति में नहीं है कि राज्यों को जीएसटी का मुआवज़ा दे सके। उनका कहना था कि चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार को जीएसटी का 14 प्रतिशत राज्यों को बतौर मुआवज़ा देना था, जो अब तक नहीं मिला है।
विकास उपाध्याय ने कहा ऐसा नहीं है कि बीजेपी शासित राज्य जीएसटी मुआवजा की मांग नहीं कर रहे हैं, वे भी केन्द्र की इस रवैये के खिलाफ हैं।