राज्य सरकार किसानों का डाटा बैंक तैयार करेगी। इसके लिए किसानों से आधार और मोबाइल नंबर लिए जाएंगे। पिछले साल पंजीकृत किसानों को धान एवं मक्का खरीदी के लिए इस साल भी पात्र माना जाएगा। इन किसानों का पंजीयन कराने समिति में आने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, पहले से पंजीकृत किसान यदि कोई संशोधन कराना चाहते हैं तो इसे सीमित मॉड्यूल के माध्यम से किया जा सकेगा। पंजीकृत किसानों का डाटा 17 अगस्त से 31 अक्टूबर तक अपडेट किया जाएगा। पंजीकृत किसानों की दर्ज भूमि एवं धान और मक्का के रकबे और खसरे को राजस्व विभाग की मदद से अपडेट किया जाएगा। बता दें कि किसान पंजीयन का काम राजस्व दस्तावेज के अनुसार किया जाता है इसलिए गिरदावरी का काम राजस्व विभाग द्वारा समय पर पूरा कर पंजीयन के लिए डेटा उपलब्ध कराया जाएगा। गिरदावरी के समय सभी किसानों से आधार एवं मोबाइल नंबर भी लिया जाएगा। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने राज्य के सभी संभागायुक्त, कलेक्टरों, पंजीयक सहकारी संस्थाएं एवं प्रबंध संचालक नवा रायपुर को इस संबंध में पत्र भेजा। इसमें खरीफ 2019-20 में पंजीकृत किसानों की दर्ज भूमि एवं धान के रकबे और खसरे की जानकारी की सूची संबंधित क्षेत्र के पटवारी को उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है।
नए पंजीयन के लिए डेढ़ माह
खरीफ 2020-21 के लिए 17 अगस्त से 31 अक्टूबर के बीच नए किसानों का पंजीयन किया जाएगा। नए पंजीयन के लिए किसानों को संबंधित दस्तावेज के साथ तहसील कार्यालय में आवेदन देना होगा।
राजस्व अफसर करेंगे मॉनिटरिंग
रकबा एवं खसरा का सत्यापन राजस्व विभाग के उच्चाधिकारियों की निगरानी में किया जाएगा। प्रदेश के उद्यानिकी तथा धान से अलग दूसरी अन्य फसलों के रकबे को किसी भी स्थिति में धान के रकबे के रूप में पंजीयन नहीं किया जाएगा। राज्य में छत्तीसगढ़ में गन्ना, सोयाबीन, मक्का, सब्जियां, फल-फूल आदि अन्य फसलें खरीफ सीजन के दौरान उगाई जाती हैं। इसके अलावा खसरे में अंकित रकबे से अनुपयोगी बंजर, पड़त, निकटवर्ती नदी-नालों, निजी तालाब, डबरी की भूमि और कृषि उपयोग के लिए बनाए गए कच्चे-पक्के शेड आदि की भूमि को पंजीयन में से कम किया जाएगा।