पाठ्य पुस्तक निगम घोटाला: देवजी भाई पटेल ने ली लीगल एंट्री, इंटरविनर बन कर पहुंचे कोर्ट, 110 करोड़ के घोटाले पर से उठ सकता है पर्दा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पाठ्यपुस्तक निगम का विवाद इन दिनों बेहद चर्चा में हैं। वजह है यहां के पूर्व प्रबंधक अशोक चतुर्वेदी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार की ओर से की जा रही कार्रवाई। आरोप लगाया गया है कि पूर्व प्रबंधक ने करोड़ों रूपये की राशि में हेरफेर की। मनमाने तरीके से अपने लोगों को काम बांटे। शासन के खजाने को क्षति पहुंचाई। यह तो हुई प्रत्यक्ष वजह। लेकिन दूसरी अप्रत्यक्ष वजह भी थी जो अब प्रत्यक्ष हो गई है। भाजपा के पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल अब इंटरविनर बन कर इस विवाद में लीगली इंटर कर चुके हैं।

धरसींवा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष देवजी पटेल ने अपने सीनियर अधिवक्ता मीनाक्षी अरोरा एवं अभिनव श्रीवास्तव के माध्यम से इंटर विनर के रूप में उच्च न्यायालय बिलासपुर में अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल में पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक संजय अलंग ने कार्यवाही विवरण में अपने हस्ताक्षर होने का इनकार किया है। वह सरासर गलत है क्योंकि कार्यवाही विवरण का जो दूसरा हस्ताक्षर छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष का होता है। अतः माननीय न्यायालय से अनुरोध है, कि मेरा पूरा पक्ष सुना जावे । पूर्व विधायक देवजी पटेल का पक्ष सुनने के बाद उच्च न्यायालय बिलासपुर ने इंटरविनर को स्वीकार करते हुए निर्देश दिया कि अगली तारीख 08 सितंबर 2020 को संपूर्ण दस्तावेज के साथ न्यायालय में उपस्थित हों।

कैसे करवट लेगा मामला

दरअसल, अशोक चतुर्वेदी पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल के करीबी रहे हैं। देवजी भाई पटेल की एंट्री ही इस केस को दूसरी दिशा में मोड़ देगा। क्योंकि अब यह विवाद भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे किसी अधिकारी का नहीं, बल्कि राजनीति का होगा। सूत्रों की मानें तो 08 सितंबर 2020 को छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष देवजी पटेल अपने पूरे दस्तावेज के साथ कई दबे घोटाले को सामने लाने जा रहे हैं। बताया जा रहा कि 2005 से लेकर 2019 तक जो कार्य पाठ्य पुस्तक निगम के माध्यम से हुए हैं उसे सामने रखेंगे। इसमें 2014 – 2015 एवं 2015 – 2016 वित्तीय वर्ष में हिंदुस्तान पेपर मिल से कागज खरीदी का मामला प्रमुख है। याद होगा कि यह मामला भ्रष्टाचार के चलते काफी सुर्खियों में रहा है।

माना जा रहा कि यह पूरा घोटाला करीब 110 करोड़ का है। देवजीभाई पटेल इस मामले की सीबीआई जांच की मांग भीकर सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो कई बड़े अफसर की गर्दन फंस सकती है।