रायपुर। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के आदिवासियों ने पूर्व आईएएस अधिकारी और बीजेपी नेता ओपी चौधरी पर जवांगा में भूमि अधिग्रहण के नाम पर छल एवं षड़यंत्र करने का गंभीर आरोप लगाया है. इसके साथ ही चौधरी पर उनकी भूमि हथियाने के लिए उन्हें पुलिस थाने में बंद करवाकर नक्सल मामले में फंसाने की धमकी दिलवाने का भी गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने इस संबंध में प्रदेश की राज्यपाल के पास एक शिकायत ज्ञापन भी सौंपा है।
राज्यपाल से दंतेवाड़ा जिले के गीदम ब्लॉक स्थित ग्राम बड़े पनेडा के ग्रामीणों ने राजभवन में मुलाकात की और उन्हें शिकायती ज्ञापन सौंपा. जिसमें उन्होंने कहा कि वे उस वन भूमि में लंबे समय से खेती कर रहे थे. तत्कालीन कलेक्टर रीना कंगाले द्वारा यहां 17 आदिवासियों को वन भूमि पट्टा दिया गया था. लेकिन साल 2010-11 में वहां कलेक्टर रहते हुए ओपी चौधरी ने जवांगा एजुकेशन सिटी निर्माण के लिए भूमि खाली करने के लिए कहा, उन्होंने कहा कि एजुकेशन सिटी बनने पर मैं नौकरी दूंगा, तुम लोगों के बच्चों को मुफ्त में पढ़ाया जायेगा और इस भूमि के बदले दूसरी भूमि के पट्टे दिये जाने का वादा किया था. लेकिन हम लोगों ने भूमि देने से इन्कार किया तो कलेक्टर ओपी चौधरी द्वारा थानेदार को बोलकर हम लोगों को गीदम थाने में पूरे दिन भर बैठाकर नक्सली सहयोगी बताकर खूब डराया गया. साथ ही कहा गया कि एजकेशन सीटी बन रही है बनने दो विरोध मत करो नहीं तो जेल भेज देंगे. इससे हम डर की वजह से चुप हो गए.
अपने ज्ञापन में उन्होंने आगे लिखा है कि षड़यंत्र के तहत ग्राम बड़े पनेडा के पटवारी चन्द्रसेन नागवंशी को शासन की तरफ से प्रार्थी बनाकर उससे आवेदन बनवाया गया. जिसमें ग्राम बड़े पनेडा की वर्तमान भूमि खसरा नं 105,109,110,141,142 क्रमशः रकबा 1.87 हेक्टेयर, 1.14 हे., 7.8 हे, 3.05 हे., 4.95 हे ग्राम बड़े पनेड़ा के लिये संहिता के प्रावधानुसार संधारि निस्तार पत्रके मद (क) इमारती लकडी अथवा इंधन हेतु सुरक्षित, मद (ख) चारे और घास के लिए सुरक्षित और संहिता की धारा धारा 237 के तहत संरक्षित रही है तथा इसी उक्त खसरे की भूमि में एक दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों के नाम दिखाकर उनका वन अधिकार पट्टा निरस्त किये जाने का आवेदन दंतेवाड़ा एसडीएम के पास प्रस्तुत किया. जिसमें जिन्हें वनअधिकार पट्टा दिया गया था उन्हें ही अनावेदक बनाया गया.
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि एसडीएम द्वारा वनअधिकार पट्टा निरस्त करने के लिए की गई कार्रवाई के दौरान न तो उन्हें सूचना दी गई और न ही उन्हें बुलाया गया और उनके पट्टे को निरस्त कर जमीन एजुकेशन सिटी के निर्माण के लिए अधिग्रहित कर ली गई.
11 बिन्दुओं की शिकायत में उन्होंने आगे लिखा है कि ग्राम पंचायत बडे पनेडा के प्रस्ताव की कॉपी जो प्रकरण में लगाई गई है वह भी फर्जी है. ग्राम के किसी भी पंच को यह मालूम नहीं है कि यह बैठक कब हुई तथा प्रस्ताव कब लिया गया. एसडीएम द्वारा ग्राम पंचायत बडे पनेडा के सचिव को बुलाकर प्रस्ताव लिखवा लिया गया.
ग्रामीणों ने राज्यपाल से गुहार लगाते हुए कहा कि हमें हमारी भूमि से बेदखल होने के पश्चात् हमें अपनी आजीविका चलाने हेतु काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उक्त भूमि पर वनोपज एवं कृषि से हमारा गुजारा चलता था. हमारी जीविकोपार्जन वाली महत्वपूर्ण भूमि के एजुकेशन हब में चले जाने के पश्चात हमारा भविष्य काफी दिक्कतपूर्ण हो गया है. अब हमारी आने वाली पीढ़ीके लिए रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गयी है.
राज्यपाल से आदिवासियों ने गुहार लगाई है कि हम आदिवासियों के साथ षडयंत्रपूर्वक धोखाधड़ी से अधिग्रहित भूमि के एवज में पूर्व में दिये गये आश्वासन के तहत प्रत्येक परिवार से योग्यतानुसार शासकीय नौकरी दिलाई जाए. इसके साथ ही परिवार के बच्चों को एजुकेशन सिटी के प्रत्येक संस्था में भर्ती प्राथमिकता व एजुकेशन सिटी में हमारे ग्राम का नाम उल्लेख किया जाए.