एनकाउंटर में मारा गया विकास दुबे, पुलिस का हथियार छीनकर भागने की कोशिश, पहले से ही एनकाउंटर का लग रहा था अंदेशा

अंदेशा लगाया जा रहा था वही हुआ। कानपुर का कुख्यात अपराधी विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया गया है। यूपी पुलिस ने विकास दुबे का एनकाउंटर कर दिया है। बताया जा रहा है कि विकास दुबे पुलिस की हिरासत से भागने का प्रयास कर रहा था। विकास दुबे ने अपराध की दुनिया में कदम भी कानपुर से ही की थी। उसी कानपुर में पुलिस ने उसे ढेर कर दिया।

जानकारी के मुताबिक घटना सुबह तड़के की है। STF की टीम उसे लेकर जा रही थी। उसके पीछे कई मीडियाकर्मी भी थे। लेकिन अचानक मीडियाकर्मियों को आगे जाने से रोक दिया जाता है। बताया जाता है कि आगे चेकिंग चल रही है। उसके बात एक गाड़ी के पलटने की बात कही जाती है। फिर खबर आती है कि विकास दुबे पुलिस के हथियार छीन कर भागने की कोशिश कर रहा था। उसी दौरान एनकाउंट में पुलिस के हाथों में विकास दुबे के मारे जाने की खबर आती है। हालांकि जब इसकी भनक मीडिया कर्मियों को लगी तो एसटीएफ ने साफ साफ मना कर दिया। लेकिन थोड़ी देर बाद जब उसका शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल लाया जाया गया तब इसका खुलासा हो गया।

पुलिस ने क्या कहा

घटना पर पुलिस का बयान भी आ गया है।यूपी पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक, विकास दुबे को लेकर ले जाया जा रहा था। उसी दौरान एक्सीडेंट हुआ और गाड़ी पलट गई। इसके बाद विकास दुबे ने पुलिस की पिस्टल छीन करभागने की कोशिश की थी। इसके बाद पुलिस ने उसे घेर लिया। उसे आत्मसमर्पण कराने की कोशिश करने लगा, लेकिन उसने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दिया। इसके बाद आत्मरक्षा में पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी। पुलिस अधिकारी के मुताबिक कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैँ।

विकास दुबे के सीने पर गोलियां लगी है। अस्पताल के डॉक्टरों ने भी विकास दुबे के मौत की पुष्टि कर दी है।

कई सवाल दफन हो गए

पहले से ही कयास लगाया जा रहा था कि पुलिस विकास दुबे का एनकाउंटर कर सकती है। देश के कई बड़े पत्रकारों ने ट्वीटर पर इसका आशंका भी जताई. दरअसल, जिस बेरहमी से विकास दुबे ने पुलिसकर्मियों की हत्या की थी, उसे देख कर साफ लग रहा था कि पुलिस उसे जिंदा नहीं छोड़ने वाली है।

लेकिन पुलिस की इस कार्रवाई से कई सवाल खड़े हो गए हैं। विकास दुबे की मौत के साथ ही वो सारे राज भी दफन हो जाएंगे कि विकास दुबे को कोन कौन प्रश्रय दे रहा था। पुलिस विभाग के कौन कौन से अधिकारी और कर्माचरी उसके लिए मुखबिरी कर रहे थे। क्या उसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था, ऐसे तमाम सवाल सामने आने से पहले ही विकास दुबे के सीने मेंफन हो गया।