कोरोना महामारी में भी राजनीतिक पार्टियों की सस्ती राजनीति शर्मनाक स्थिति पेश कर रही है। इस राजनीति में दिल्ली और बिहार सरकार आमने सामने है। दरअसल, दिल्ली से 1200 मजदूरों को ट्रेन से रवाना कर दिल्ली सरकार मानवता का मसीहा बनते हुए ट्वीट करती है और कहती है कि बिहार सरकार ने मजदूरों के ट्रेन किराया देने से मना कर दिया। अब अरविंद केजरीवाल सरकार इनका किराया वहन करेगी। लेकिन थोड़ी देर बाद ही बिहार सरकार की तरफ से भी एक पत्र आ गया। यह पत्र दिल्ली सरकार की ओर से भेजा गया है जिसमें कहा गया है कि अभी मजदूरों का किराया दिल्ली सरकार वहन कर रही है। बाद में उसे बिहार सरकार देगी।
जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने छह मई को दिल्ली सरकार के नोडल अधिकारी पीके गुप्ता द्वारा बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को लिखी गई चिट्ठी को सार्वजनिक किया है। चिट्ठी में नोडल अधिकारी पीके गुप्ता ने लिखा है कि 1200 प्रवासी मजदूरों के दिल्ली से मुजफ्फरपुर यात्रा का खर्चा जो तकरीबन 6.5 लाख होगा वह तत्काल दिल्ली सरकार वहन करेगी और बाद में इस रकम का भुगतान बिहार सरकार दिल्ली सरकार को करेगी।
बिहार के मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि मैंने दिल्ली के एक मंत्री के ट्वीट को देखा कि वे उन 1200 प्रवासियों के रेल टिकट का भुगतान कर रहे हैं जो दिल्ली से मुजफ्फरपुर की यात्रा कर रहे हैं। मेरे पास दिल्ली सरकार द्वारा बिहार सरकार से धन की प्रतिपूर्ति के लिए भेजा गया पत्र है। उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ आप यह कहते हुए क्रेडिट ले रहे हैं कि आप प्रवासी मजदूरों को अपने पैसे पर वापस भेज रहे हैं और दूसरी तरफ बिहार से पैसे वापस करने के लिए भी कह रहे हैं। ये कैसी राजनीति है।
दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि प्रवासी मजदूरों से पैसा लेना उचित नहीं है, वे पिछले दो महीनों से आश्रय गृहों में रह रहे हैं। टिकटों के भुगतान के लिए उनके पास पैसे कहां से मिलेंगे, इसलिए दिल्ली सरकार ने इसके लिए भुगतान किया। इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।