मुंबई के सायन अस्पताल में लाशों के बीच कोरोना मरीज का इलाज, पूर्व सीएम के बेटे के पोस्ट से मची खलबली, डीन ने दी सफाई

मुबंई: पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के बेटे और बीजेपी विधायक नितेश राणे ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया है. जिसको लेकर हड़कंप मचा हुआ है. वीडियो मुम्बई के सायन अस्पताल का बताया जा रहा है. जहां मरीजों के बगल में कोरोना से मृत मरीजों की लाश रखी गई हैं.

नितेश राणे ने वीडियो को अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से शेयर करते हुए लिखा, ” यह कैसा एडमिनिस्ट्रेशन है बेहद शर्मनाक.” वीडियो में दावा किया गया कि कोरोना वार्ड में लाश घंटों तक पड़ी रही और बगल के बेड पर इलाज चल रहा है. एक दो नही बल्कि कोरोना मरीजों के बगल में कई शव दिख रहे हैं.

डीन के माध्यम से आई है यह सफाई

डीन डॉक्टर इंगले ने बताया कि यह वीडियो वार्ड के बनावट के अनुसार हमारे अस्पताल के एक वार्ड का नज़र आ रहा है, लेकिन वीडियो कितने दिन पहले का है यह जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि इस तस्वीर के पीछे कई कारण हैं. अगर कोरोना से किसी मरीज की मौत हो रही है तो उसके परिजन पार्थिव शरीर लेने या दावा करने सामने नहीं आ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जिन कोरोना मरीजों की मौत हुई उनमें से कई के परिवार के सदस्यों का इलाज दूसरे वार्ड में चल रहा है. जिसमें कुछ गंभीर भी हैं. कई बार मृत शख्स के परिजन 5 मिनट में लौटने की बात कहकर चले जा रहे हैं और फोन बंद कर दे रहे हैं. पुलिस ऐसे परिजनों की तलाश करती है पर इसमें समय लगता है.

उन्होंने कहा कि मृत शरीर को लेकर राज्य सरकार या महानगरपालिका की नियमावली स्पष्ट नहीं थी. एक हफ्ते पहले बताया गया की शव को तत्काल अंतिम संस्कार किया जाए. डॉक्टर इंगले ने बताया कि हमें लीगल अड़चन की दिक्कत है क्यों कि अगर बाद में मृत शख्स के परिजन शव पर दावा कर दे तो कानून अड़चन सामने आती है.

उन्होंने कहा कि जिन वार्ड में शव रखा गया है उसी वार्ड में मरीजों का इलाज चल रहा है क्योंकि दीवारों से लगकर ऑक्सीजन लाइन उसी वार्ड में बेड ने नजदीक उपलब्ध हैं. मरीजों को वेंटिलेटर या ऑक्सीजन पर रखा गया है.अगर उन्हें उस वार्ड से हटाया गया तो दो या तीन लोगों की जान जा सकती है. शवगृह की जितना क्षमता है उससे ज्यादा संख्या में शव कमरे में रखे गए हैं.

इससे पहले कोलकाता से भी आई थी खबर

इसी तरह की एक खबर कोलकाता से भी आई थी। कोलकाता के आईडी बांगुल कोविड अस्पताल के वार्ड में मरीजों का इलाज किया जा रहा था। वहीं एक बेड पर प्लास्टिक से बांधी गई डेड बॉडी भी रखी हुई थी। वार्ड के ही एक मरीज ने तस्वीर ली और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने मोबाइल फोन से संक्रमण का खतरा बताते हुए अस्पताल में मोबाइल फोन ले जाने पर ही प्रतिबंध लगा दिया.