29 तारीख आखिरकार बीत गई। धरती और इसके निवासियों को कुछ नहीं हुआ। वैज्ञानिकों की बात सच निकली और हम एक बड़े खतरे से बच गए। लेकिन वैज्ञानिकों ने इस उल्कापिंड की जो तस्वीर ली, वह हैरान करने वाली है। ऐसा लग रहा है जैसे कोरोना ग्रस्त पृथ्वी के पास से यह विशालकाय उल्कापिंड मास्क लगा कर गुजर गया होग। पर हकीकत यह है कि यह आभास इसमें स्थित लघु पहाड़ी और मैदान में बनी लकीरों के कारण था।
वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार बुधवार को भारतीय समयानुसार दोपहर लगभग साढ़े तीन बजे पृथ्वी से सुरक्षित दूरी से 19 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गुजर गया। वैज्ञानिकों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इससे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है। वैज्ञानिकों की लगातार इस पर नजर बनी रही। इस क्षुद्रग्रह को वैज्ञानिकों ने (52768)1998 ओआर 2 नाम दिया था जो 29 अप्रैल को पृथ्वी के सर्वाधिक निकट से गुजरा। इसका अनुमानित व्यास 1.8 से 4.1 किलोमीटर का था।
आर्य भट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान एरीज के वैज्ञानिक शशि भूषण पांडे के अनुसार 29 अप्रैल को गुजरा क्षुद्रग्रह अपेक्षाकृत बहुत बड़े आकार का था। इस आकार का क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराने की स्थिति में कहर बरपा सकता है, लेकिन इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना नहीं थी। वैज्ञानिकों के अनुसार यह क्षुद्रग्रह निकटतम होने पर भी पृथ्वी से 6.3 मिलियन किमी दूर रहा जो कि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की औसत दूरी से 16 गुना अधिक है।
हालांक नासा ने इस क्षुद्रग्रह को संभावित खतरनाक श्रेणी में रखा था क्योंकि इसका आकार बहुत बड़ा था और यह खतरनाक श्रेणी के मानदंड को भी पूरा करता था। नासा के अनुसार संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह वे होते हैं जो पृथ्वी की कक्षा (7.5 मिलियन किमी) से कम दूरी से मतलब पृथ्वी की कक्षा के भीतर से गुजरते हैं। इस मानदंड के अनुसार यह इससे 12 लाख किलोमीटर कम की दूरी से पृथ्वी के निकट से गुजरा।
पृथ्वी और मंगल की कक्षाओं के बीच में 1344 दिन में सूर्य की परिक्रमा करने वाला यह क्षुद्रग्रह इसके बाद 18 मई 2031 यह पुन: पृथ्वी के निकट आएगा हालांकि तब यह पृथ्वी से और भी अधिक 19 मिलियन किमी की दूरी से गुजरेगा।
इसके बाद 2048 और 2062 में यह और भी अधिक दूरी से गुजरेगा लेकिन यही क्षुद्रग्रह 16 अप्रैल 2079 को पृथ्वी के अत्यंत निकट केवल 1.8 मिलियन किमी दूर से गुजरेगा। किसी कारणवश राह भटक जाने पर तब यह पृथ्वी के लिए घातक हो सकता है।
इस बड़े एस्टेरॉयड के अलावा पृथ्वी की तरफ एक कम आकार का एस्टेरॉयड भी आ रहा था। जो इसे कंपनी देता प्रतीत हो रहा था। यह लगभग इसी के आसपास पृथ्वी से चंद हजार किमी की दूरी से गुजरा। वैज्ञानिकों ने इसे 2020 एचएस 7 नाम दिया था।
वैज्ञानिकों के अनुसार इससे हमारे ग्रह के लिए कोई खतरा नहीं था। इस आकार के छोटे क्षुद्रग्रह सुरक्षित रूप से प्रति माह पृथ्वी के बहुत नजदीक से गुजरते हैं। 2020 एचएस 7 चार से छह मीटर व्यास वाले का था। इस जैसे छोटे एस्टेरॉयड अगर पृथ्वी से टकराते भी हैं तो इससे पूर्व ही पृथ्वी के वातावरण में ही नष्ट हो जाते हैं