कोरोना वायरस की आंच अब केंद्रीय कर्मचारियों के भत्ते तक पहुंच चुकी है। कोरोना महामारी के चलते देश पर पड़ रही आर्थिक बोझ के बीच केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को एक जनवरी 2020 से देय महंगाई भत्ते और केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों की महंगाई राहत की अतिरिक्त किस्त का भुगतान न करने का फैसला लिया है।
आदेश में सरकार का कहना है कि एक जुलाई 2020 और एक जनवरी 2021 से देय महंगाई भत्ते और महंगाई राहत की अतिरिक्त किस्तों का भुगतान भी नहीं किया जाएगा। हालांकि महंगाई भत्ते और महंगाई राहत की मौजूदा दरों पर भुगतान किया जाता रहेगा। यह आदेश केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों और केंद्र सरकार के वेतनभोगियों पर लागू होंगे।
आदेश में सरकार ने कहा, ‘जैसे ही सरकार द्वारा एक जुलाई 2021 से देय महंगाई भत्ते और महंगाई राहत की भावी किस्तों को जारी करने का निर्णय लिया जाता है, एक जनवरी 2020, एक जुलाई 2020 और एक जनवरी 2021 से प्रभावी महंगाई भत्ते और महंगाई राहत की दरों को भावी प्रभाव से बहाल कर दिया जाएगा। और उन्हें एक जुलाई 2021 से प्रभावी संचयी संशोधित दरों में सम्मिलित कर दिया जाएगा। एक जनवरी 2020 से 30 जून 2021 तक की अवधि का कोई बकाया नहीं दिया जाएगा।’
हालांकि वेतन में बच्चों की पढ़ाई का भत्ता मिलता रहेगा। चिकित्सा भत्ता केवल आपातकालीन स्थिति में ही प्रदान किया जाएगा। बता दें कि सबसे पहले केंद्र सरकार के मंत्रियों और सांसदों के वेतन में 30 फीसदी तक की कटौती की गई थी।
1.13 करोड़ परिवारों पर पड़ेगा असर
केंद्र सरकार के इस फैसले से लगभग 48 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगी प्रभावित होंगे। इसका मतलब है कि कुल मिलाकर 1.13 करोड़ परिवार इस फैसले के अंतर्गत आएंगे। अमूमन केंद्र सरकार के डीए को राज्य सरकारें भी लागू करती हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ने जब अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्तों पर रोक लगाई है तो राज्य सरकारें भी ऐसा कर सकते हैं।