कोरोना वायरस के ईलाज के लिए भारत में शुरू हुई प्लाज्मा थेरेपी, गंभीर रोगियों के लिए नई उम्मीद

भारत में कोविड-19 का इलाज करने के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल शुरू हो गया है। डॉक्टर कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके 1600 लोगों के खून में मौजूद एंटीबॉडी का इस्तेमाल करके संक्रमितों का इलाज करेंगे। इस थेरेपी को कोरोना का संभावित इलाज माना जा रहा है।

कोंवालेसेंट प्लाज्मा थेरेपी में खून में मौजूद प्लाज्मा, जिसमें वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी होती है उसके जरिए उन मरीजों का इलाज किया जाता है जो गंभीर रूप से संक्रमण की चपेट में हैं। यह प्लाज्मा कोरोना संक्रमण से मुक्त हुए लोगों के खून से लिया जाता है। दरअसल, शरीर पर जब कोई वायरस हमला करता है तो शरीर उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाता है। जिसका उपयोग करके दूसरे मरीजों को ठीक किए जाने की संभावना है। 

भारत के शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अलावा कम से कम दो अस्पतालों ने दिल्ली में थेरेपी की प्रभावशीलता का परीक्षण करने के लिए आवेदन किया है। जिसके लिए प्रोटोकॉल बनाए गए हैं।

दिल्ली सरकार के स्वायत्त अस्पताल, लिवर और पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) ने पहले ही ट्रायल का संचालन करने के लिए अनुमति प्राप्त कर ली है। वहीं निजी अस्पताल मैक्स को ट्रायल करने के लिए अनुमति का इंतजार है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने कहा, ‘सभी केंद्रों पर एक ही तरह का परीक्षण किया जाएगा, आईसीएमआर प्रोटोकॉल के अनुरूप अस्पतालों को मंजूरी दी जा रही है ताकि सभी केंद्रों से समान और तुलनात्मक डाटा मिल सके।’

आईएलबीएस के निदेशक डॉक्टर एसके सरीन ने कहा, ‘देश में अब एक हजार से ज्यादा लोग कोविड-19 संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं और उनके ब्लड प्लाज्मा का इस्तेमाल गंभीर रूप से बीमार लोगों का इलाज करने के लिए किया जाएगा। ठीक हो चुके लोगों में मौजूद एंटीबॉडी सैद्धांतिक रूप से गंभीर रोगियों को संक्रमण से लड़ने में मदद करेगी। यह अन्य वायरल बीमारियों के लिए भी किया जाता है।’