कोरोना महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है। इसमें सबसे पड़ी चुनौती कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए टेस्ट किट की व्यापक उपलब्धता को लेकर आ रही है। जब तक मास टेस्टिंग के जरिए प्रारंभिक स्तर पर ही इस बीमारी का पता नहीं लगा लिया जाता, तब तक इस पर तेजी से काबू पाना मुश्किल लग रहा। इसी के चलते कोरोना जांच के लिए दुनियाभर में प्रयोग चल रहे हैं। इस बीच एक खबर आई है कि मुंबई विश्वविद्यालय में तैयार किए गए उपकरण का परीक्षण इटली अपने यहां कोरोना केस का पता लगाने के लिए कर रहा है। खुशी की बात यह है कि इस करीब 98 प्रतिशत तक काम कर रहा है।
दरअसल मुंबई के जैव प्रौद्योगिकी के तीन छात्रों और एक प्रोफेसर की तरफ से एक उपकरण तैयार किया गया है। इटली में इसका परीक्षण किया जा रहा है। छात्रों और प्रोफेसर का दावा है कि इस उपकरण के जरिये लोग अपने स्मार्ट फोन का इस्तेमाल कर कोरोना वायरस के रोगियों का पता लगा सकते हैं।
रोम में स्थित तोर वेरगाटा विश्वविद्यालय में इस उपकरण का परीक्षण किया जा रहा है। इस उपकरण का लगभग 300 लोगों पर परीक्षण किया जा चुका है। खास बात यह है कि जिन लोगों पर यह परीक्षण किया गया है, उनमें से 98 प्रतिशत नतीजे सटीक आए हैं।
मुंबई के डी वाई पाटिल जैव प्रौद्योगिकी और जैव सूचना विज्ञान संस्थान की टीम के मुताबिक एप के जरिये काम करने वाला यह उपकरण किसी व्यक्ति की आवाज के आधार पर कोविड-19 बीमारी का पता लगाता है।
कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने वाले इस उपकरण को तैयार करने वाली टीम में जैव सूचना विज्ञान की छात्रा रश्मि चक्रवर्ती, प्रियंका चौहान और प्रिया गर्ग शामिल हैं।
इस परियोजना की निगरानी करने वाले प्रोफेसर संतोष बोथे ने बताया, ‘एक ओर जहां कई विदेशी विश्वविद्यालय कोरोना वायरस की जांच के लिये ध्वनि आधारित उपकरण तैयार करने में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर यह भारतीय उपकरण पूरी तरह काम कर रहा है। फिलहाल रोम के विश्वविद्यालय में कोरोना वायरस के रोगियों का पता लगाने में इसका इस्तेमाल हो रहा है, जिसके 98 फीसदी नतीजे सटीक आए हैं