असम में एक विपक्षी दल के विधायक को कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए अस्पतालों की हालत, डिटेंशन सेंटरों से बदतर बताने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। राज्य पुलिस प्रमुख ज्योति महंत ने बताया कि अखिल भारतीय संयुक्त गणतांत्रिक मोर्चा (एआईडीयूएफ) के ढिंग निर्वाचन क्षेत्र से विधायक अमीनुल इस्लाम को प्राथमिक जांच के बाद आज सुबह गिरफ्तार किया गया। विधायक की एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी, जिसमें वह एक अन्य व्यक्ति के साथ बातचीत में विधायक कहते हैं कि क्वारंटाइन सेंटर की हालत डिटेंशन सेंटर से भी बदतर है।
उन्होंने कथित तौर पर यह भी कहा कि वहां रहने की सुविधा डिटेंशन सेंटर से बदतर है और खाना-पानी भी सही से नहीं दिया जा रहा। राष्ट्रीय नागरिक पंजी में नाम ना आने के बाद असम में सैकड़ों प्रवासी डिटेंशन सेंटर में रह रहे हैं। महंत ने कहा, ‘हमने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है।’ उन्होंने बताया कि असम विधानसभा अध्यक्ष को इस बारे में सूचित कर दिया गया है।
कुछ दिनों में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के विधायक अमीनुल इस्लाम ने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट किए हैं, जिसमें सरकार को कोविड -19 रोगियों और पिछले महीने दिल्ली में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लेने वालों से निपटने के तरीकों पर सवाल उठाए गए हैं।
अमीनुल इस्लाम ने क्या कहा:
विधायक अमीनुल इस्लाम का एक आडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह कथिततौर पर कहते हैं कि कोविड-19 की आड़ में एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने की साजिश है और जो लोग क्वारंटाइन हैं, उन्हें मार दिया जाएगा।
ऑडियो क्लिप में विधायक आगे कहते हैं, ‘क्वारंटाइन सेंट्रस डिटेंशन सेंटर से भी बदतर हैं। मैंने सुना है कि जो लोग एक या दो महीने पहले तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे, उन्हें क्वारंटाइन में रखा गया है और उनके परिवार के सदस्यों को उनके पास जाने की अनुमति नहीं है।’ वह आगे कहते हैं, ‘करीब 5-10 लोगों को क्वारंटाइन सेंटर में एक कमरे में रखा जा रहा है और उन्हें सिर्फ एक तकिया और गद्दा दिया गया है। उन्हें मच्छरदानी भी नहीं दी गई है। उन्हें उचित तौर पर खाना-पानी भी नहीं दिया जा रहा है।’
असम में कितने मामले:
असम में कोरोना वायरस के अब तक 26 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 25 मामले तबलीगी जमात से जुड़े हुए हैं। फिलहाल, सभी मरीजों का इलाज असम के कई सरकारी अस्पतालों में हो रहा है। उन लोगों के संपर्क में आए लोगों को भी क्वारंटाइन में रखा गया है।