भारत में कोरोना वायरस के खतरों के बीच इंश्योरेंस और टर्म प्लान को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि कोरोनों से संक्रमित हुए तो बीमा कंपनी ईलाज का खर्च देगी या नहीं। अगर इससे किसी की मौत हो गई तो टर्म प्लान का क्लेम मिलेगा या नहीं। इन सवालों के चलते सोशल मीडिया पर कई तरह के अफवाह भी शुरू हो गए। किसी ने कहा कि सरकारी कंपनी ही टर्म प्लान का खर्च उठा रही है, इसलिए निजी कंपनी से टर्म प्लान कराने का फायदा नहीं। लेकिन क्या है असल हकीकत..। इन तमाम शंकाओं का जवाब यहां जानिए-
जीवन बीमा परिषद ने किया स्पष्ट
जीवन बीमा परिषद ने सोमवार को कहा कि सभी बीमा कंपनियां कोविड-19 के चलते हुई मौत के सिलसिले में दावों का निपटान करने के लिए बाध्य हैं। परिषद ने एक बयान में कहा कि सार्वजनिक और निजी, दोनों जीवन बीमाकर्ता कोविड-19 से संबंधित किसी भी मृत्यु दावे के निपटान के लिए प्रतिबद्ध हैं। परिषद ने कहा कि कोविड-19 से मौत के दावों के मामले में ‘फोर्स मेजर’ का प्रावधान लागू नहीं होगा। फोर्स मेजर का अर्थ है कि ऐसी अप्रत्याशित दशाएं, जब समझौते का पालन बाध्यकारी नहीं होता।
यह बयान उन ग्राहकों को भरोसा दिलाने के लिए जारी किया गया है, जिन्होंने इस संबंध में जीवन बीमा कंपनियों से सफाई मांगी थी और अफवाहों को दूर करने के लिए कहा था। सभी जीवन बीमा कंपनियों ने इस संबंध में व्यक्तिगत रूप से अपने ग्राहकों को सूचित किया है।
मामले में जीवन बीमा परिषद के महासचिव एस एन भट्टाचार्य ने कहा कि, “कोविड-19 महामारी के वैश्विक और स्थानीय स्तर पर बढ़ते प्रकोप से प्रत्येक घर में जीवन बीमा की जरूरत को बल मिला है। जीवन बीमा उद्योग यह सुनिश्चित करने के लिए हर उपाय कर रहा है कि लॉकडाउन के कारण पॉलिसीधारकों को कम से कम दिक्कत हो और न हो, उन्हें डिजिटल माध्यमों के जरिए निर्बाध रूप से सहायता मिले, फिर चाहें वह कोविड-19 से संबंधित मृत्यु दावों का निपटान हो या पॉलिसी से संबंधित कोई दूसरी सेवा।” उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में जीवन बीमा कंपनियां अपने ग्राहकों के साथ हैं और ग्राहकों को अफवाहों से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
आईआरडीए ने जारी किए थे निर्देश
मालूम हो कि पिछले महीने ही भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों को पॉलिसी में कोविड-19 का मेडिकल कवर जोड़ने का निर्देश दिया था। इरडा ने कहा था कि मौजूदा समय में जिस इंश्योरेंस में अस्पताल का खर्च शामिल है, उसमें कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोरोना वायरस से जुड़े खर्च को शीघ्र शामिल किया जाए।
यह निर्देश इरडा अधिनियम, 1999 की धारा 14 (2) (e) के प्रावधानों के तहत जारी किए गए थे और तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। साथ ही आपको बता दें कि जरूरत आधारित स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध कराने के तहत बीमा कंपनियां विभिन्न उत्पादों से संबंधित बीमारियों के लिए उत्पाद उपलब्ध करा रही हैं। इनमें मच्छरों आदि से होने वाली बीमारियां शामिल हैं।
कोरोना से संबंधित दावों का तेजी से हो निपटान
साथ ही बीमा नियामक ने बीमा कंपनियों से कहा था कि वे कोरोना वायरस के इलाज से संबंधित दावों का तेजी से निपटान करें। इरडा ने कहा कि जिन मामलों में अस्पताल में भर्ती होने का खर्च कवर हो, बीमा कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि कोविड-19 से संबंधित मामलों का तेजी से निपटान किया जाए।
पॉलिसीधारकों को राहत
साथ ही इरडा ने जीवन बीमा पॉलिसीधारकों को प्रीमियम भुगतान के लिए 30 दिन का और समय दे दिया है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में लागू लॉकडाउन के मद्देनजर नियामक ने यह कदम उठाया है। ऐसे जीवन बीमा पॉलिसीधारक जिनके नवीकरण की तारीख मार्च और अप्रैल में पड़ती है, उन्हें प्रीमियम भुगतान के लिए 30 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया है।