राम जन्मभूमि पर किसका हक? पढ़िए सुप्रीम कोर्ट में महा सुनवाई की एक एक दिन की रिपोर्ट

द वायस 24 डेस्क,रायपुर. 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि के स्वामित्व विवाद पर चली महासुनवाई 16 अक्टूबर 2019 को पूरी हो गई. पांच जजों की संवैधानिक बेंच के सामने सुनवाई चली। विवाद से जुड़े हर पक्ष की ओर से दलील पेश की गई। सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ हर दिन की सुनवाई में, और किसने क्या क्या दलील पेश की, पढिेए पूरी दास्तां..

40वें दिन की सुनवाई

16 अक्टूबूर, 2019. सुप्रीम कोर्ट ने  बुधवार को स्पष्ट किया कि वह अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद संबंधी राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले में प्रतिदिन हो रही सुनवाई को बुधवार शाम को पूरी कर देगा। कहा-  ”अब बहुत हो चुका।” लेकिन तय समय से एक घंटा पहले ही कार्रवाई पूरी कर दी गई. कार्रवाई के आखिरी क्षणों में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने रामंदिर का नक्शा कोर्ट में ही फाड़ दिया.

39वें दिन की सुनवाई

 चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने स्पष्ट तौर पर कहा कि बुधवार को इस मामले की सुनवाई का आखिरी दिन होगा। राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आज 39वां दिन है। 

38वें दिन की सुनवाई

 सोमवार को राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने आरोप लगाया कि इस मामले में हिन्दु पक्ष से नहीं बल्कि सिर्फ हमसे ही सवाल किये जा रहे है। मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने यह टिप्पणी की।

37वें दिन की सुनवाई

  मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यदि मस्जिद के लिए बाबर द्वारा इमदाद देने के सबूत नहीं हैं, तो सबूत राम मंदिर के दावेदारों के पास भी नहीं है, सिवाय कहानियों के। मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ के समक्ष दलील दी, ‘उस दौर में इसका कोई सबूत हमारे पास नहीं है, लेकिन सबूत मंदिर के दावेदारों के पास भी नहीं है, सिवाय कहानियों के।’

36वें दिन की सुनवाई

 मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली पांच जजों की पीठ ने रामजन्मस्थान पुनरोद्धार समिति को नया तथ्य रखने से रोक दिया। भरोसा रखिए, हम ऐसा फैसला देंगे जिसे हमें देने की जरूरत है।

35वें दिन की सुनवाई

 मंगलवार को रामजन्मभूमि विवाद पर सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान की ओर से सीएस वैद्यनाथन ने प्रत्युत्तर में दलीलें शुरू कीं। उन्होंने पुरातात्विक खोज में मिली दीवार (नंबर 18) के मंदिर नहीं, ईदगाह की होने की मुस्लिम पक्ष की दलील खारिज कर दी।

34वें दिन की सुनवाई

 मुस्लिम पक्षकार के वकील ने दलील दी कि 1885 के मुकदमे और अभी के मुकदमे एक जैसे ही हैं।

33वें दिन की सुनवाई

 मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील रखीं गईं। वकील ने एएसआई की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उसे महज एक विचार बताते हुए कहा कि इसके आधार पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता।

32वें दिन की सुनवाई

 मुस्लिम पक्ष कि ओर से भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) की रिपोर्ट पर उठाए गए सवालों पर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अदालत विशेषज्ञों के निष्कर्ष पर कोई राय नहीं रख सकती। मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, एसए बोब्डे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एसए नजीर की पीठ के समक्ष दलील दी कि विवादित ढांचे के नीचे एक ईदगाह हो सकता है।

31वें दिन की सुनवाई

अयोध्या में खुदाई के बाद हिंदू मंदिरों के प्रमाण होने की संबंधी पुरातत्व विभाग (एएसआई) की रिपोर्ट पर सवाल उठाने पर उच्चतम न्यायालय ने सुन्नी बोर्ड को फटकारा और कहा वह इस रिपोर्ट पर सवाल नहीं उठा सकते। उन्हें ट्रायल कोर्ट में सवाल उठाने चाहिए थे तब उठाए नहीं, अब उन्हें अपीलीय अदालत में ऐसा नहीं करने दिया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने कहा कि सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की वकील मीनाक्षी अरोड़ा से कहा कि एएसआई की रिपोर्ट और उसके निष्कर्षों पर सवाल उठाने का हक नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट में वह दीवानी प्रक्रिया संहिता के आदेश 26, रूल 10(2) के तहत इस रिपोर्ट पर सवाल उठा सकते थे।

30वें दिन की सुनवाई 

सुप्रीम कोर्ट में 30वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि केवल विश्वास के आधार पर यह स्पष्ट नहीं होता कि अयोध्या में मंदिर था। 

29वें दिन की सुनवाई

मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने 29वें दिन की सुनवाई में कहा कि हिंदू पक्ष चाहता है कि राम जन्मभूमि पर मौजूद निर्माण को ध्वस्त कर दिया जाए। इसके बाद वहां पर मंदिर का निर्माण कर दिया जाए।

28वें दिन की सुनवाई

सुनवाई के 28वें दिन कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने नरमी बरती। उन्होंने कहा कि कोई शक नहीं है कि भगवान राम का सम्मान होना चाहिए।

27वें दिन की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में मुस्लिम पक्षकारों की पैरवी करने पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को आपत्तिजनक पत्र लिखने वाले 88 वर्षीय सेवानिवृत्त लोकसेवक के खिलाफ बृहस्पतिवार को अवमानना का मामला बंद कर दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि इस वयोवृद्ध व्यक्ति ने धवन को लिखे पत्र में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने पर खेद व्यक्त कर दिया है। पीठ ने उसे आगाह किया कि भविष्य में इस तरह की हरकत की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।

26वें दिन की सुनवाई

अयोध्या विवाद की 26वें दिन की सुनवाई में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े पक्षकारों से 18 अक्टूबर तक अपनी जिरह पूरी करने को कहा है। जिसके बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बहस के लिए अगले हफ्ते तक का समय मांगा, जबकि निर्मोही अखाड़े को अपनी दलील रखने के लिए कितना समय चाहिए, इस बारे में उन्होंने कोर्ट को जानकारी नहीं दी। रामलाल पक्ष ने कहा कि वह इस बारे में दो दिन में अपना जवाब कोर्ट को दे देंगे।

25वें दिन की सुनवाई

उच्चतम न्यायालय में अयोध्या विवाद की 25वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने यह दलील दी। उन्होंने कहा, किसी स्थान को न्यायिक व्यक्ति में बदलने के लिए पवित्रता ही पर्याप्त नहीं है। इसके लिए उसमें कैलाश पर्वत जैसी भौतिक अभिव्यक्ति और आस्था की निरंतरता के साथ यह भी दिखाया जाना चाहिए कि निश्चित रूप से वहीं प्रार्थना की जाती थी।

24वें दिन की सुनवाई

अयोध्या मामले की सुनवाई के 24वें दिन मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने कहा है कि जन्मस्थान कानूनी व्यक्ति नहीं है। वहीं, हिंदू पक्षकार की ओर से आस्था व विश्वास के साथ-साथ जन्मस्थान और जन्मभूमि को लेकर दलील दी गई।

23वें दिन की सुनवाई

23वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से पीठ के सामने वरिष्ठ वकील जाफरयाब जिलानी ने कहा कि साल 1885 में निर्मोही अखाड़े ने जब अदालत में याचिका दाखिल की थी तब उन्होंने अपनी याचिका में विवादित जमीन के पश्चिमी सीमा पर मस्जिद होने की बात की थी। 

22वें दिन की सुनवाई

22वें दिन की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ के समक्ष धवन ने कहा, ‘हिंदू पक्ष जबरन घुसकर कब्जा करने के बाद स्थल पर मालिकाना हक मांग रहा है। क्या गैरकानूनी कार्य करने के बाद प्रतिकूल कब्जे का फायदा लिया जा सकता है?’ उन्होंने कहा कि लिमिटेशन एक्ट (मुकदमा दायर करने की समयसीमा संबंधी कानून) की धारा 65 और 142 के तहत प्रतिकूल कब्जा तभी होगा, जब इसमें कब्जे का एनिमस (इरादा) और कॉर्पस (वस्तु) हो तथा ये दोनों संयुक्त रूप से मौजूद हों। इसमें संवेदना और तंगियों को कोई तवज्जो नहीं दी जाती। 

21वें दिन की सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्याक्षता वाली पांच जजों के समक्ष मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि इस मामले में दिसंबर 1950 का मजिस्ट्रेट का आदेश गलत था। इस आदेश के बाद ही से वह(हिन्दूपक्ष) अपना दावा जता रहे हैं। दो बजे पांच जजों की पीठ के समक्ष शुरू हुई सुनवाई के दौरान धवन ने कहा कि ये स्थल उन्हें बिलोंग नहीं करता, वे उसके मालिक नहीं है। इस पर हमारा जुड़ा हुआ और संबंधित अधिकार है। 

20वें दिन की सुनवाई

अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में 20वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा 1734 से अस्तित्व का दावा कर रहा है। लेकिन अखाड़ा 1885 में बाहरी आंगन में था और राम चबूतरा बाहरी आंगन में है जिसे राम जन्मस्थल के रूप में जाना जाता है और मस्जिद को विवादित स्थल माना जाता है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के समक्ष धवन ने निर्मोही अखाड़े के गवाहों के दर्ज बयानों पर जिरह करते हुए महंत भास्कर दास के बयान का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने माना कि मूर्तियों को दिसंबर 1949 में विवादित ढांचे के बीच वाले गुंबद के नीचे रखा गया था।  

19वें दिन की सुनवाई

अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय में 19वें दिन सुनवाई हुई। मुस्लिम पक्षकारों ने दलील दी कि लगातार नमाज ना पढ़ने और मूर्तियां रख देने से मस्जिद के अस्तित्व पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह सही है कि विवादित ढांचे का बाहरी अहाता शुरू से निर्मोही अखाड़े के कब्जे में रहा है। झगड़ा आंतरिक हिस्से को लेकर है जिस पर कब्जा किया गया, लेकिन अदालत में किए गए उनके दावों में यह नहीं है। हम प्रतिकूल कब्जा मांग रहे हैं।

18वें दिन की सुनवाई

अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के 18वें दिन मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दलील कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति छल से स्थापित की गई थी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष की दलील है कि मुस्लिम पक्ष के पास विवादित जमीन के कब्जे का अधिकार नहीं हैं, न ही मुस्लिम पक्ष वहां नमाज अदा करते हैं। उसकी वजह यह है कि 1934 में निर्मोही अखाड़े ने अवैध कब्जा किया। हमें नमाज पढ़ने नहीं दी गई। 

17वें दिन की सुनवाई

अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के 18वें दिन मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दलील कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति छल से स्थापित की गई थी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष की दलील है कि मुस्लिम पक्ष के पास विवादित जमीन के कब्जे का अधिकार नहीं हैं, न ही मुस्लिम पक्ष वहां नमाज अदा करते हैं। उसकी वजह यह है कि 1934 में निर्मोही अखाड़े ने अवैध कब्जा किया। हमें नमाज पढ़ने नहीं दी गई। 

16वें दिन की सुनवाई

अयोध्या मामले में हुई सुनवाई में उच्चतम न्यायालय ने शिया बोर्ड के वकील को भी सुना। इस दौरान शिया बोर्ड ने कहा कि हमने इमाम तो सुन्नी रखा लेकिन मुतवल्ली हम ही थी। शिया बोर्ड मुख्य मुकदमे में पार्टी नहीं है। देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने बोर्ड के वकील एमसी धींगरा से सवाल किया कि जब 1946 में उनकी अपील सिविल अदालत में खारिज हो गई थी तो उन्होंने अपील क्यों नहीं की। धींगरा ने कहा कि हम डरे हुए थे। शिया बोर्ड ने 2017 में इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।

15वें दिन की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने एक हिंदू संस्था की इस मांग को थोड़ी समस्या वाली बताया कि करीब 500 साल के बाद इस बात की न्यायिक तरीके से छानबीन की जाए कि क्या मुगल शासक बाबर ने अयोध्या में विवादित ढांचे को ‘अल्लाह’ को समर्पित किया था ताकि यह इस्लाम के तहत वैध मस्जिद बन सके। ‘अखिल भारतीय श्री राम जन्म भूमि पुनरुद्धार समिति के वकील ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ से कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह कहकर गलती की कि वह इस मामले में नहीं जाएगा कि क्या बाबर ने बिना ‘शरिया’ ‘हदीस’ और अन्य इस्लामिक परंपराओं का पालन किये बिना मस्जिद का निर्माण कराया।

14वें दिन की सुनवाई

अयोध्या केस में 14वें दिन हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में श्रीराम जन्मभूमि पुनरुत्थान समिति की ओर से वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा ने दलीलें देते हुए खंडन किया कि मस्जिद बाबर ने बनवाई। 

13वें दिन की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में हुई 13वें दिन की सुनवाई में निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील जैन ने कहा कि विवादित ढांचे में मुस्लिम ने 1934 के बाद से कभी नमाज नहीं पढ़ी है। ये मंदिर ही था जिसकी देखरेख निर्मोही अखाड़ा करता था। 

बारहवें दिन की सुनवाई 

अयोध्या भूमि विवाद पर सोमवार को 12वें दिन की सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष निर्मोही अखाड़े ने अपना पक्ष रखा और वह इसी बात पर अड़ा रहा कि पूरा विवादित हिस्सा उनका है। रामलला और उनके मित्र का इसमें कोई भी हक नहीं बनता।

ग्यारहवें दिन की सुनवाई

अयोध्या मामले में ग्यारहवें दिन की सुनवाई में सीजेआई ने निर्मोही अखाड़े की ओर से दलील रख रहे सुशील जैन को हिदायत दी कि अब वो लिमिटेशन के बजाए केस की मेरिट पर बात करें। सुशील जैन ने कोर्ट से कहा था कि वो विवादित जमीन पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर रहे, सिर्फ पूजा प्रबंधन और कब्जे का अधिकार मांग रहे हैं।

दसवें दिन की सुनवाई

अयोध्या मामले की सुनवाई के दसवें दिन अखाड़ा ने अनंतकाल से विवादित स्थल पर भगवान ‘राम लला विराजमान का एकमात्र आधिकारिक ‘शबैत होने का दावा करते हुए कहा था कि वह वहां पर पूजा के लिये ‘पुरोहितनियुक्त करता रहा है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, जिस क्षण आप कहते हैं कि आप ‘शबैत (राम लला का भक्त)हैं, आपका (अखाड़ा) संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं रह जाता है।

नौवें दिन की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को रामजन्मभूमि विवाद पर सुनवाई के नौवें दिन रामजन्म पुनरोद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने कहा कि अथर्व वेद में अयोध्या की पवित्रता का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि अयोध्या में एक मंदिर है, जिसमें पूजा करने से मुक्ति मिलती है। इस पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि अयोध्या की पवित्रता पर कोई संदेह नहीं। आप विवादित स्थल के ही जनस्थान होने के साक्ष्य पेश करें।

आठवें दिन की सुनवाई

आठवें दिन की सुनवाई के दौरान ‘राम लला विराजमान के वकील ने एएसआई की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि अयोध्या में मस्जिद का निर्माण करने के लिए हिंदू मंदिर गिराया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता सी.एस वैद्यनाथन ने अदालत में कहा कि ‘एएसआई की रिपोर्ट में मगरमच्छ और कछुए की आकृतियों का जिक्र है, जिसका मुस्लिम संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है।

सातवें दिन की सुनवाई

सातवें दिन की सुनवाई के दौरान राम लला विराजमान की ओर से दलील दी गयी कि विवादित स्थल पर देवताओं की अनेक आकृतियां मिली हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से ‘राम लला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने अपनी दलीलों के समर्थन में विवादित स्थल का निरीक्षण करने के लिये अदालत द्वारा नियुक्त कमिश्नर की रिपोर्ट के अंश पढ़े। 

छठे दिन की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में छठे दिन राम लला विराजमान के वकील ने कहा कि हिंदुओं का विश्वास है कि अयोध्या भगवान राम का जन्म स्थान है और न्यायालय को इसके तर्कसंगत होने की जांच के लिये इसके आगे नहीं जाना चाहिए। राम लला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष आगे दलीलें पेश कीं। वैद्यनाथन ने पीठ से कहा, ‘हिंदुओं का विश्वास है कि अयोध्या भगवान राम का जन्म स्थान है और न्यायालय को इसके आगे जाकर यह नहीं देखना चाहिए कि यह कितना तार्किक है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने मंगलवार को न्यायालय को बताया था कि भगवान राम की जन्मस्थली अपने आप में देवता है और मुस्लिम 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर अधिकार होने का दावा नहीं कर सकते क्योंकि संपत्ति को बांटना ईश्वर को ‘नष्ट करने और उसका ‘भंजन करने के समान होगा।’

पांचवें दिन की सुनवाई

पांचवें दिन की सुनवाई के दौरान मंगलवार को इस मुद्दे पर बहस शुरू हुयी कि क्या इस विवादित स्थल पर पहले कोई मंदिर था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने मस्जिद के निर्माण होने से पहले इस विवादित स्थल पर कोई मंदिर होने संबंधी सवाल पर बहस शुरू की। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तीन न्यायाधीशों की पीठ अपने फैसले में कहा है कि विवादित स्थल पर मंदिर था।

चौथे दिन की सुनवाई

अयोध्या रामजन्म भूमि विवाद में सुनवाई महत्वपूर्ण दौर में पहुंच गई है। उच्चतम न्यायालय में बुधवार को हुई सुनवाई में इसकी तस्दीक की गई कि विवादित स्थल पर ढांचे को तोड़कर निर्माण किया गया। मस्जिद पहले से वहां नहीं थी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ में जस्टिस एसए बोब्डे ने कहा, इसमें कोई विवाद नहीं है कि जन्मस्थान पर विध्वंस और निर्माण हुआ। यहां पर मस्जिद बनी। पीठ ने यह टिप्पणी तब कि जब रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने बताया कि 1945 में शिया वक्फ बोर्ड ने सुन्नी बोर्ड के खिलाफ जिला अदालत में मुकदमा दर्ज किया था। 

तीसरे दिन की सुनवाई

अयोध्या मामले में तीसरे दिन की सुनवाई आठ अगस्त को हुई थी। बेंच ने पूछा कि एक देवता के जन्मस्थल को न्याय पाने का इच्छुक कैसे माना जाए, जो इस केस में पक्षकार भी हो। इस पर वकील ने कहा था कि हिंदू धर्म में किसी स्थान को पवित्र मानने और पूजा करने के लिए मूर्तियों की जरूरत नहीं है।

दूसरे दिन की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में सुनवाई के दूसरे दिन दौरान निर्मोही अखाड़े से जानना चाहा कि विवादित स्थल पर अपना कब्जा साबित करने के लिये क्या उसके पास कोई राजस्व रिकार्ड और मौखिक साक्ष्य है। इस पर निर्मोही अखाड़े ने कहा कि उसके पास रामजन्मभूमि के स्वामित्व का कोई सबूत नहीं है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े से पूछा कि क्या ‘क्या आपके पास मौखिक या दस्तावेजी साक्ष्य हैं या कुर्की से पहले रामजन्मभूमि के कब्जे का राजस्व रिकॉर्ड?’ इस पर पांच सदस्यी बेंच के समझ अखाड़ा ने कहा कि साल 1982 में डकैती हुई थी, जिसमें हमने सारे रिकॉर्ड खो दिए।’

पहले दिन की सुनवाई

6 अगस्त को शुरू हुई रोजाना सुनवाई के पहले दिन निर्मोही अखाड़ा ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर अपना दावा किया था। उन्होंने कहा कि पूरी विवादित भूमि पर 1934 से ही मुसलमानों को प्रवेश की मनाही है।