कोरोना को हराने केंद्र का कंटेनमेंट प्लान तैयार.. कोरोना हॉटस्पॉट वाला इलाका होगा सील, सघन जांच और इलाज की सुविधा

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की चुनौती से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने कंटेनमेंट प्लान तैयार किया है। इसके तहत रणनीति यह है कि देश में कोरोना हॉट स्पॉट की पहचान करना और उसे सील कर देना, ताकि देश के दूसरे हिस्से में संक्रमण को रोका जाए।

शनिवार को जारी कंटेनमेंट प्लान के अनुसार कोरोना वायरस के स्वाइन फ्लू के एच1एन1 वायरस की तरह कुछ इलाकों में आउटब्रेक होने की आशंका है। हालांकि देश के अधिकांश हिस्से के इससे रहने की संभावना है। ऐसे में इस वायरस को उसी इलाके तक सीमित रखने का काम युद्ध स्तर पर करना होगा। सरकार को आशंका है कि कोरोना वायरस के आउटब्रेक की आशंका शहरों के घनी आबादी वाले इलाकों में ज्यादा और खुले ग्रामीण इलाके में कम है। 

केवल 14 फीसदी मरीजों को अस्पताल में रखने की होगी जरूरत

कोरोना के आउटब्रेक की स्थित में तैयारियों की रूपरेखा बताते हुए कंटेनमेंट प्लान में कहा गया है कि इससे पीड़ित 81 फीसदी मरीजों में सामान्य रूप से बीमारी के लक्षण होते हैं। केवल 14 फीसदी मरीजों को अस्पताल में रखने की जरूरत होगी और केवल पांच फीसदी ऐसे मरीज होते हैं जिन्हें वेंटिलेटर जैसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर ऱखना होगा। सामान्य रूप से बीमार लोगों को अस्पताल में रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उनके लिए कोरोना के लिए बने विशेष अस्पतालों के पास ही निगरानी में रखे जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके लिए होटल, गेस्ट हाउस से लेकर मौजूदा कोरेंटाइन सेंटर का इस्तेमाल किया जा सकता है। कोरोना के लिए बने विशेष अस्पताल में केवल उन्हीं मरीजों को रखा जाएगा, जिनकी स्थिति गंभीर हो।

कोई बाहर नहीं आ जा सकेगा- कंटेनमेंट प्लान का सबसे अहम हिस्सा ऐसे इलाके को पूरी तरह अलग-थलग रखने का है। ऐसे इलाके से किसी भी व्यक्ति को बाहर निकलने की इजाजत नहीं होगी। सारे रास्तों को बंद कर दिया जाएगा। जरूरी सेवाओं के लिए हर आने-जाने वाले की विस्तृत जानकारी रखी जाएगी और उसके बारे में लगातार अधिकारियों को अपडेट किया जाएगा।

बड़े पैमाने पर कराए जाएंगे जांच- जिला मजिस्ट्रेट की निगरानी में चलने वाले कंटेनमेंट प्लान में लोगों में बड़े पैमाने पर टेस्टिंग का अभियान चलाया जाएगा और कोरोना के हर पोजेटिव को तत्काल अलग-थलग किया जाएगा। वहीं आम लोगों को वायरस से बचने के लिए व्यापक और सघन प्रचार अभियान चलाया जाएगा, ताकि जो लोग इससे बचें होंगे, उन्हें वायरस से बचाया जा सके।

आउटब्रेक वाले इलाके में सांस और जुकाम से ग्रसित हर व्यक्ति की कोरोना जांच कराकर इसके वायरस की उपस्थिति सुनिश्चत की जाएगी। इसके साथ ही उन लोगों की भी सैंपल टेस्टिंग की जाएगी, जिनमें कोरोना के लक्षण सामने नहीं आए हैं। ताकि इससे पता लगाया जा सके कि कितने लोग ऐसे हैं, जो कोरोना वायरस से ग्रसित तो हुए, लेकिन वह उन्हें प्रभावित नहीं कर सका।

बफर जोन भी बनेगा- कंटेनमेंट प्लान में चिह्नित किये गए इलाके के चारों ओर एक बफर जोन की पहचान किये जाने का भी प्रावधान है। इस बफर जोन में कोरोना के वायरस के लक्षण वाले मरीजों पर खास ध्यान रखा जाएगा। ताकि किसी तरह यदि कंटेनमेंट वाले इलाके से वायरस बाहर निकलने में सफल भी हो जाए, तो इसे बफर जोन में ही रोका जा सके।