आएं, मिलकर हराएं फाइलेरिया को…स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव का आह्वान, कहा…सामुदायिक भागीदारी से ही फाइलेरिया पर जीत संभव

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव ने प्रदेश को फाइलेरियामुक्त बनाने के लिए जनभागीदारी का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक भागिदारी से ही फाइलेरिया से जीत संभव है। लिहाजा संयुक्त राष्ट्र के एसडीजी लक्ष्य के अनुरूप प्रदेश को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए लोग आगे आएँ और जनभागीदारी के जरिए इस बीमारी को हरा कर प्रदेश को स्वस्थ बनाएं। ।

स्वास्थमंत्री टीएस सिंहदेव ने एक ट्विट कर इस जनभागीदारी के लिए लोगों का आह्वान किया है। साथ ही 24 फरवरी से प्रदेश में मास ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन अभियान शुरू होने की भी जानकारी दी है।

बता दें कि राज्य के 17 जिले फाइलेरिया प्रभावित हैं। इनमें 8 जिले रायपुर, गरियाबंद, बलौदा बाजार, महासमुंद, बिलासपुर, मुंगेली, पेंड्रा-गौरेला-मरवाही एवं रायपुर सर्वाधिक प्रभावित हैं। फाइलेरिया के संक्रमण को रोकने के लिए यहां सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) अभियान चलाया जा रहा है। घर- घर जाकर फाइलेरिया की दवा खिला रहे हैं। राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत लिम्फैटिक फाइलेरियासिस को समाप्त करने के लिए 29 फरवरी तक सघन अभियान चलाया जा रहा है।

इसके अलावा राज्य के 37 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। इसकी एक वजह पेट में कीड़ी का होना भी है। राज्य के 20 जिलों में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस चलाया जा रहा है। दोनों अभियान सोमवार से शुरू हुए। इससे पहले अंबिकापुर में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने अभियान की शुरुआत की। बता दें कि फाइलेरिया से बचाव के साथ- साथ एमडीए (सामूहिक दवा सेवन) दवा आंत के कृमि का भी इलाज करती है। इससे बच्चों के पोषण स्तर में भी सुधार होता है।
स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में बूथ फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के पहले दिन सभी स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में बूथ पर छात्र- छात्राओं को दवा दिया गया। साथ ही स्थानीय मितानिन द्वारा समुदाय के सभी लोगों को दवा सेवन के लिए प्रोत्साहित किया गया। दूसरे और तीसरे दिन घर- घर जाकर दवा का सेवन कराया जाएगा। अंतिम दो दिन उन घरों का दोबारा दौरा किया जाएगा, जहां घरों में ताला बंद था या फिर कोई सदस्य घर पर नहीं मिला था। 


मच्छर काटने से फैलती है बीमारीफाइलेरिया या हाथी पांव बीमारी मच्छर के काटने से फैलता है। इसमें शरीर के अंग सूज जाते हैं। डब्लूएचओ के अनुसार यह बीमारी दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। यही वजह है कि बच्चों से लेकर बड़ों को घर- घर जाकर दवा दिया जा रहा है।