शिवरात्रि की विभोर करने वाली तस्वीर.. काशी की नूर फातिमा के घर में शिवालय.. हर दिन सुबह की नमाज के साथ करतीं हैं महादेव का जलाभिषेक… 16 सालों से जारी है अराधना

शिव आदि हैं.. शिव अनंत हैं.. इनके आगे क्या भेद और क्या मतभेद। फिर बात जब शिव की नगरी काशी की हो तो फिर कहना ही क्या बचता है। यहां तो कण कण में शिव का वास है। शिवरात्रि पर यहां से तस्वीर आई है, वह सचमुच भाव विभाोर करने वाली है। यह तस्वीर है डीरेका के गणेशपुर की रहने वाली नूर फातिमा की…। शिव भक्ति का जो अनुराग 16 साल पहले उपजा, आज वो निरंतर जारी है। उनके घर में ही शिवालय है..। नमाज के साथ साथ हर सुबह महादेव का जलाभिषेक करती हैं।

नूर फातिमा की हर सुबह नमाज के साथ साथ भोलेनाथ के जलाभिषेक के साथ शुरू होती है। अब यह उसके जीवन का हिस्सा है। महाशिवरात्रि पर महादेव की पूजा का अवसर भी उनके लिए बेहद खास होता है। गणेशपुर कालोनी में उनका घर पूरी कॉलोनी वासियों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है।

पेशे से वकील नूर फातिमा का कहना है कि 2004 में संयोग से भगवान शिव के पूजा की शुरुआत हुई जो आज जीवन का हिस्सा बन चुकी है। वह बताती हैं कि 2004 में मुझे अजीबो गरीब सपने आते थे। सपने में अक्सर एक मंदिर नजर आता था जहां मैं पूजा करती थी। फिर लखनऊ से बनारस आना पड़ा। बनारस में घर बन गया। लेकिन उसके सवा महीने बाद आसपास के लोगों के घरों में कई मौतें हुईं। यहां तक हादसे में मेरे पति की भी मौत हो गई। कई सारे अपशकुन होते थे।

मेरे मन में विचार आया कि गणेशपुर में शिव का मंदिर बनाया जाए। इस पर कालोनी वालों ने भी सहमति जताई। मंदिर बनाने में साथी वकीलों और जनसहयोग के साथ खुद के पैसे से मदद मिली। संकटमोचन मंदिर के महंत स्व. वीरभद्र मिश्र ने 8 मार्च 2004 को मंदिर का शिलान्यास कराया। मंदिर में शिव परिवार सहित मूर्ति एवं शिवलिंग दोनों स्थापित है। सावन, शिवरात्रि पर विशेष पूजन किया जाता है। हर सोमवार को महिलाएं मंदिर में भजन व पूजा करती हैं।

वह बताती हैं कि आज उनकी जिंदगी सुकूनभरी है। ईश्वर की कृपा से दो बेटियां हैं। एक इंजीनियर और दूसरी बड़ी कंपनी में मैनेजर है।