कश्मीरी पंडितों (kashmiri pandit) पर हुए जुल्म को दिखाती फिल्म शिकारा (shikara) पर रोक की मांग वाली याचिका जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट (jammu kashmir high court) ने खारिज कर दी है। याचिका राजनीतिक विश्लेषक इफ्तिखार मिगार, कश्मीरी पत्रकार माजिद हैदरी और एक स्थानीय वकील इरफान हफीज लोन द्वारा दायर की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस फिल्म में कश्मीर और कश्मीरी पंडितों के बारे में गलत तथ्य दर्शाए गए हैं। फिल्म में कश्मीरी मुसलमानों को पलायन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जो कि सही नहीं। इसके जरिए फिल्म नफरत फैलाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन कोर्ट ने उनकी आपत्तियों को खारिज करते हुए फिल्म के रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट के इस फैसले पर निर्माता विधु विनोद चोपड़ा ने भी खुशी जताई है।
‘शिकारा’ के जरिए विधु विनोद चोपड़ा (Vidhu vinod chopra) ने दर्शकों को कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की कहानी को एक प्यारी-सी लवस्टोरी के जरिए बताने की कोशिश की है. ‘शिकारा’ 1990 में कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म को दिखाती है कि आखिर कैसे रातों-रात उन्हें घर से निकलने के लिए मजबूर कर दिया जाता है.
फिल्म का डायरेक्शन विधु विनोद चोपड़ा ने किया है, उन्होंने ये फिल्म अपनी मां को समर्पित किया है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कश्मीरी पंडितों के दर्द को एक लवस्टोरी में पिरोया है. कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अन्यायपूर्ण घटना को निर्देशक ने दो किरदारों के साथ बुना है, जो दिल को छूती जाती है. फिल्म आज रिलीज हो चुकी है.