चीन में कोरोना वायरस से बचाना वाला मास्क खत्म, जापान, हंगरी से मांगी मदद, शेयर मार्केट भी ढेर, तीस दिन में 30 लाख करोड़ डूबे

नई दिल्ली। महज 9 दिनों में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के 1000 बेड का अस्पताल जिस देश ने तैयार कर लिया हो, उसकी क्षमता सहज आंकी जा सकती है। लेकिन ऐसे देश को भी कोरोना वायरस घुटने पर ला दिया। इससे इस बीमारी के कहर को भी समझा जा सकता है। कोरोना वायरस पूरे चीन में फैल चुका है। लिहाजा इस देश में बचाव के लिए पहने जाने वाले सर्जिकल मास्क खत्म हो गए हैं। चीन ने जापान, हंगरी, दक्षिण कोरिया जैसे देशों से सर्जिकल मास्क के लिए मदद मांगी है। वहीं, इस बीमारी के खौफ ने चीन के शेयर मार्केट को भी ढेर कर दिया है। पिछले 30 दिनों में यहां का शेयर बाजार 13 सालों से सबसे निचले स्तर पर जा चुका है। निवेशकों के 30 लाख करोड़ रुपये डूब चुके हैं।

साल 2002 में आए सार्स से भी ज्यादा लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस से चीन में 17 हजार से ज्यादा लोग संक्त्रस्मित हो चुके हैं। सोमवार को इससे मरने वाले लोगों की संख्या 360 के पार पहुंच गई। 1.4 अरब आबादी वाले देश में लोग डर के मारे अपने घरों में सर्जिकल मास्क जमा कर रहे हैं। इधर, चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि बीमारी से निबटने में मदद करने के बजाय वह डर और खौफ का माहौल पैदा कर रहा है।

सर्जिकल मास्क बनाने वाली चीनी कंपनियां पूरी क्षमता से काम करें तो रोजाना दो करोड़ सर्जिकल मास्क बना सकती हैं, लेकिन वे फिलहाल 60 से 70 फीसदी उत्पादन ही कर रही हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ शुनविंग ने कहा, चीन को अभी सबसे ज्यादा जरूरत सर्जिकल मास्क, संक्रमण से सुरक्षित रखने वाले खास सूट और रंगीन चश्मों की है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दक्षिण कोरिया, जापान, कजाकिस्तान और हंगरी ने चिकित्सकीय सामानों की मदद भेजी है। इधर, चीन का उद्योग मंत्रालय यूरोप, जापान और अमेरिका से सर्जिकल मास्क मंगाने की कोशिश कर रहा है। सर्जिकल मास्क की कमी का बड़ा कारण यह है कि कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हुबेई के अलावा गुओंगडांग, शिझुआन, जियांग्शी जैसे कई अन्य प्रांतों और शहरों ने सार्वजनिक स्थानों पर इसे पहनना अनिवार्य कर दिया है।

शेयर बाजार में भारी गिरावट

कोरोना वायरस का असर अब आर्थिक और कूटनीतिक क्षेत्रों में भी दिखने लगा है। सोमवार को चीन के शेयर बाजार में भारी बिकवाली हुई और शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में भी करीब 8 प्रतिशत गिरावट आई जो एक साल में सबसे ज्यादा है। इससे निवेशकों को 445 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। चीनी मुद्रा युआन में भी सोमवार को तेज गिरावट दर्ज की गई और और डॉलर के मुकाबले उसका मूल्य करीब 1.5 फीसदी कम हो गया। चीन के केंद्रीय बैंक ने बाजार में 173.8 अरब डॉलर (12 लाख करोड़ रुपए) की नकदी बढ़ाकर गिरावट रोकने की कोशिश की, लेकिन इसका भी खास असर नहीं हुआ।