कानपुर। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर कानपुर में बीते डेढ़ महीने से चल रहे बवाल के पीछे केरल के चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) का हाथ होने की बात सामने आई है. एक राष्ट्रीय समाचार पत्र के मुताबिक, केंद्रीय जांच एजेंसियों के इनपुट के आधार पर हुई जांच में पता चला है कि 15 दिसंबर से लेकर अब तक शहर में सीएए के विरोध को लेकर जो भी बवाल, हिंसा, धरना-प्रदर्शन हुए, उसकी फंडिंग पीएफआइ ने की थी। इतना ही नहीं मोहम्मद अली पार्क चमनगंज में चल रहा प्रदर्शन भी इसी फंड से संचालित होने की जानकारी मिली है।
दरअसल, कई स्रोतों से जानकारी सामने आती रही है कि सीएए और एनआरसी को लेकर देशभर में जारी विरोध प्रदर्शनों के पीछे कट्टरपंथी संगठनों के हाथ हैं। ये संगठन ने सिर्फ लोगों को इकट्ठा कर रहे हैं, बल्कि आंदोलन को जारी रखने के लिए हर तरह से आर्थिक मदद भी कर रहे हैं. इसमें पीएफआई का नाम सबसे उपर है।
सीएए के विरोध को लेकर महानगर में वैसे तो छिटपुट विरोध 15 दिसंबर से ही शुरू हो गए थे, लेकिन असली बवाल 20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद हुआ। बाबूपुरवा मे बवाल के बाद गोलीबारी, पथराव और आगजनी में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि एक दर्जन लोग घायल हुए थे। वहीं दूसरी ओर यतीमखाना से हजारों की भीड़ ने निषेधाज्ञा तोड़कर शहर के एक बड़े हिस्से में जुलूस निकाला था, जिससे पूरे शहर में अफरातफरी मच गई थी। दूसरे दिन यतीमखाना में पुलिस के साथ उपद्रवियों का खूनी संघर्ष हुआ, जिसमें 40 से अधिक लोग घायल हुए। अब भी छिटपुट तरीके से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं मोहम्मद अली पार्क में एक महीने से भी अधिक समय से महिलाएं आंदोलन कर रही हैं।
पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में जानकारी मिली थी कि केरल के चरमपंथी संगठन पीएफआइ ने विरोध के लिए धन मुहैया कराया है। एसएसपी अनंत देव ने बताया कि सेंट्रल एजेंसियों से इनपुट मिला था कि कानपुर में हो रहे बवाल के पीछे पीएफआइ का हाथ है। पीएफआइ ने इसके लिए यहां मोटी रकम खर्च की है। जांच में इनपुट पुख्ता हो गया। चरमपंथी संगठन के कुछ बैंक अकाउंट पर पुलिस की नजर में हैं। एसएसपी के मुताबिक मोहम्मद अली पार्क में चल रहे धरना-प्रदर्शन में भी पीएफआइ का धन प्रयोग हो रहा है।