रायपुर। करीब डेढ सालों तक 400 करोड़ रुपये के फर्जी बिल के जरिए शासन को करोड़ों की चपत लगाने वाले एक कारोबारी परिवार को केंद्रीय जीएसटी इंटेलिजेंस विभाग ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी कारोबारी अपने परिवार समेत फ्लाइट से फरार हो रहा था। लेकिन इंटेलिजेंस विभाग की टीम ने उसे एयरपोर्ट पर ही धर दबोचा। आरोपी प्रकाश बिहारी लाल दधिची को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उसे 14 दिनों के न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
यह सनसनीखेज मामला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से जुड़ा है। इसका खुलासा जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय रायपुर की जोनल यूनिट ने इसे उजागर किया है। रायपुर के मेसर्स दधीचि आयरन एंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर प्रकाश बिहारी लाल दधीचि परिवार के साथ भाग रहा था, लेकिन स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट पर दबोच लिया गया।अतिरिक्त महानिदेशक अजय कुमार पाण्डेय इसकी पुष्टि की है।
क्या है मामला
दधीचि आयरन एंड स्टील प्राइवेट लि. द्वारा सात से दस अन्य फर्जी फर्में बनाकर कर मार्च 2018 से अक्टूबर 2019 के बीच फर्जी बिलों के आधार पर व्यापक जीएसटी (आईटीसी) के द्वारा घोटाले को अंजाम दिया। जब विभाग को पता चलता तो इसी साल 31 जनवरी को पांडेय के ही नेतृत्व में कार्रवाई शुरू की गई। संयुक्त निदेशक नेम सिंह ने विभाग की टीम के साथ मेसर्स दधिचि आयरन एंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा एवं मध्यप्रदेश में लगभग 20 अलग अलग ठिकानों पर 100 से अधिक अधिकारियों के साथ छापेमारी की। जांच दलों को मिली सूचनाओं का दो दिनों तक गहन विवेचना कर तथा तथ्यों का सामना कर इस फर्म के निदेशक प्रकाश बिहारी लाल दधिचि से पूछताछ कर मामले का पर्दाफ़ाश किया गया। इस फर्जीवाडे के जरिए आरोपी ने 60 करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व का गबन किया है।
क्या मिला छापे में
छापेमारी में करीब 89.50 लाख की नकदी भी जब्त की गई । इसके बारे में पूछे जाने पर प्रकाश बिहारी लाल दधिचि ने उनके द्वारा की गई फर्जी खरीदी एवं बिक्री से संबंधित बताया। दधिचि ने विभाग द्वारा की गई कार्रवाई का पता चलते ही अपने परिजनों के साथ रायपुर विमानतल से जयपुर फरार होने का प्रयास भी किया। इसको अधिकारियों ने पूरा न होने दिया। रायपुर जोनल यूनिट,भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण तथा सीआईएफआई ने मिलकर कंपनी के अन्य डायरेक्टर्स को स्वामी विवेकानंद विमानतल दबोच लिया।
कैसे हुआ घोटाला अधिक के फर्जी बिल जारी कर दरअसल आईटीसी का मतलब माल के खरीद के समय चुकाया गया कर, जिसे आउटपुट पर टैक्स देने के समय अपने इनपुट टैक्स से एडजस्ट कर सकते हैं जो आपने माल खरीदते समय चुकाया है। आरोपी फर्म ने माल की खरीदी ऐसी कई फर्जी फर्मों से अपने जीएसटी रिटर्न में दर्शाया है जो कि असल में अस्तित्वहीन हैं या फिर जिनका निर्माण फर्जी दस्तावेजों तथा धोखाधड़ी से किया गया। आरोपी के खिलाफ जीएसटी अपवंचन का मामला दर्ज किया गया। कार्यवाही को अंजाम देते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया। जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया। वर्तमान में जांच में मिले दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है।