रायपुर। शनिवार को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में मध्यक्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की प्रथम बैठक आयोजित की गई। बैठक को आयोजन मुख्य अतिथी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्राधिकरण के अध्यक्ष लालजीत सिंह राठिया के अध्यक्षता में किया गया। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि पहले प्रदेश में आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए केवल दो विकास प्राधिकरण बस्तर और सरगुज था । बस्तर तथा सरगुजा विकास प्राधिकरण के सम्मिलित जिलों के अतिरिक्त शेष आदिवासी उपयोजना क्षेत्र के विकास की अल्पकालिक तथा दीर्घकालिक योजनाओं के निर्माण, क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए मध्यक्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। मध्यक्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अंतर्गत सम्पूर्ण राजस्व जिला कोरबा के अतिरिक्त गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, बलौदाबाजार-भाटापारा, बालोद, राजनांदगांव, कबीरधाम, मुंगेली, बिलासपुर, रायगढ़ तथा जांजगीर-चांपा के आदिवासी उपयोजना क्षेत्र में सम्मिलित क्षेत्र शामिल है। इस प्राधिकरण के गठन से आदिवासी क्षेत्रों के विकास में तेजी आएगी।
बैठक में बताया गया कि मध्यक्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण में शामिल समस्त 12 जिलों में वित्तीय वर्ष 2018-19 में लगभग 20 करोड़ रूपए की स्वीकृत राशि से 419 विकास तथा निर्माण कार्य संचालित है। इनमें से वर्तमान में 14 करोड़ रूपए की राशि के 286 कार्यों को पूर्ण कर लिया गया है। इस दौरान चर्चा करते हुए मध्यक्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के जिले के अतंर्गत चिन्हाकित ग्रामों की सूची संबंधित सांसदो तथा विधायकों को उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया गया। बैठक में प्राधिकरण के अध्यक्ष लालजीत सिंह राठिया और उपाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मी धु्रवे तथा पुरूषोत्तम कंवर ने भी संबोधित किया। जिसमें उन्होंने बताया कि इसके गठन से आदिवासी उपयोजना क्षेत्रों में विकास को और गति मिलेगी। इससे प्राधिकरण के अंतर्गत आदिवासी क्षेत्र तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए अति आवश्यक कार्य तथा आदिवासियों की संस्कृति के परिरक्षण के लिए आवश्यक सभी कार्य लिए जा सकेंगे।
बैठक में प्राधिकरण के अंतर्गत संचालित कार्यों की प्रगति, वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए प्राधिकरण मद से प्राप्त बजट प्रावधान तथा नवीन प्रस्तावों की स्वीकृति आदि विषयों पर चर्चा की गई। चर्चा में आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल व्यवस्था, जल संरक्षण, पशु सेवाएं और कौशल उन्नयन विकास पर विशेष जोर दिया गया। बैठक में जानकारी दी गई कि प्राधिकरण क्षेत्र में निवासरत अनुसूचित जनजातियों की सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक हितों के संरक्षण जैसे कार्यों को प्राथमिकता से लिया जाना है। जनजाति विकास से संबंधित नीतियों तथा प्राथमिकताओं के अनुसार क्षेत्रीय विकास के लिए उपाय और जन आकांक्षाओं के अनुरूप विकास तथा निर्माण कार्यों को शीघ्रता से स्वीकृत कर पूर्ण कराया जाना है।
इस अवसर पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव, स्कूल शिक्षा तथा आदिमजाति कल्याण मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, सांसद सुश्री छाया वर्मा सहित प्राधिकरण के सदस्य और मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल, अपर मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास सुब्रत साहू, सचिव आदिम जाति विकास डी.डी. सिंह तथा संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।