भारत से लड़कर भुखमरी के कगार पर पहुंचा पाकिस्तान, 1.1 करोड़ लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा की चपेट में

नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में लगभग 1.1 करोड़ (11 मिलियन) लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। इनमें से करीब 17 लाख लोग ‘आपातकालीन’ स्थिति में हैं, यानी वे भुखमरी या अकाल जैसी स्थिति से बस एक कदम दूर हैं।

यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र की दो प्रमुख संस्थाओं – फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) और वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) – द्वारा तैयार की गई है। इसमें खाद्य असुरक्षा की गंभीरता को मापने के लिए IPC (Integrated Food Security Phase Classification) प्रणाली का उपयोग किया गया है।

सबसे प्रभावित क्षेत्र:

रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान के 22 जिले – विशेष रूप से बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा (KPK) – सबसे अधिक प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों में दशकों से विकास की उपेक्षा, राजनीतिक अस्थिरता और आपदाओं ने स्थिति को और खराब बना दिया है।

इस संकट के प्रमुख कारण:

  1. प्राकृतिक आपदाएं: पाकिस्तान में हाल के वर्षों में आई बाढ़ और सूखे ने फसलों को बर्बाद कर दिया। 2022 की बाढ़ में करोड़ों लोग प्रभावित हुए और लाखों एकड़ फसल नष्ट हो गई।
  2. आर्थिक मंदी: बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और IMF की सख्त शर्तों ने आम लोगों की जेब पर भारी असर डाला है। अप्रैल 2025 में मुद्रास्फीति दर 25% से अधिक थी।
  3. आजिविका की कमी: ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर कम हैं। किसान और मजदूर वर्ग की आमदनी बुरी तरह प्रभावित हुई है।

महिलाओं और बच्चों पर असर:

यदि तुरंत कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। भूख से मौतों की संख्या बढ़ सकती है और देश में आंतरिक विस्थापन (Internal Displacement) जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। पाकिस्तान इस समय एक गंभीर मानवीय और आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यह संकट केवल भोजन की कमी का नहीं, बल्कि देश की सामाजिक स्थिरता और भविष्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। इससे उबरने के लिए तत्काल और सतत प्रयासों की आवश्यकता है।