निर्भया गैंगरेप एवं हत्याकांड की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। गुस्से से उबल रहे देश में भी न्याय सिस्टम इतना जटिल साबित हुआ कि 7 साल बाद भी इसके दरिंदे जिंदा हैं। इन दरिंदों ने जैसे निर्भया को रौंदा, उसी तरह का खेल कानून के साथ भी कर रहे हैं। इस पर कोर्ट से लेकर सरकार तक विफर चुकी है और कानूनी खामियों को दूर करने की बात कह चुकी है। इसी कड़ी में एक अहम सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में होने जा रही है। केंद्र सरकार ने अपील की है कि जिन दोषियों के कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं, उन्हें फांसी पर लटकाने की अनुमति दी जाए।
दरअसल, दशकों पुराने एक केस में सुप्रीम कोर्ट का दिया फैसला ही निर्भया के गुनहगारों का रक्षक बन गया। फैसला यह था कि अगर एक अपराध में कई दोषी हैं और सभी को फांसी की सजा मिली है तो तब तक एक को भी फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता जब तक सारे आरोपियों के कानूनी विकल्प समाप्त नहीं हो जाते। इसी फैसले को इन गुनहगारों ने ढाल बनाया। अपनी फांसी की सजा को टलवाने के लिए चारों ने एक एक कर कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करना शुरू किया। एक के सारे विकल्प खत्म होते, तो दूसरा सामने आया। फिर तीसरा.. और फिर चौथा। इस तरह इसने कानून के साथ भी खिलवाड़ की।
इस खिलवाड़ से भी देशभर में गहरा जनआक्रोश उभरा। इसे देखते हुए केंद्र व दिल्ली सरकार ने याचिका दायर की और मांग की कि जिन आरोपी के सारे विकल्प खत्म हो चुके हैं, उसे फांसी पर लटकाया जाए। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज, यानी मंगलवार को सुनवाई करेगा। जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ सुबह 10.30 बजे सुनवाई करेगी। जस्टिस भानुमति के अवकाश पर होने के कारण पिछले हफ्ते इस मामले पर सुनवाई नहीं हो पाई थी। इस मामले में कोर्ट पहले ही चारों दोषियों को नोटिस जारी कर चुका है।
केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि चारों दोषी साजिश के तहत एक के नाद एक अपने अपने कानूनी विकल्पों के इस्तेमाल कर रहे है। चारों दोषी कानून के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
इससे पहले, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चारों दोषियों को साथ ही फांसी दी जाएगी। कोर्ट ने दोषियों को सभी उपलब्ध विकल्प इस्तेमाल करने को एक सप्ताह की मोहलत दी थी।