अम्बेडकर अस्पताल में कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए वर्कशॉप का हुआ आयोजन

रायपुर। कोरोना वायरस (2019-nCoV) के संभावित खतरो को ध्यान में रखते हुए उसके जांच एवं उपचार तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के टेलीमेडिसीन हॉल में ट्रेनिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया। विशेष रूप से समस्त नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टॉफ के लिये आयोजित वर्कशॉप के विषय “सैम्पल कलेक्शन, ट्रांसपोर्टेशन इन्फेक्शन-प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ नोवेल कोरोना वायरस” के बारे में जानकारी देते हुए रेस्पिरेटरी मेडिसीन विशेषज्ञ एवं टीबी एंड चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आरके पण्डा ने बताया कि नोवेल कोरोना वायरस 2019 से डरने की नहीं, सतर्क रहने की जरूरत है। इसके प्रति जागरूकता और एहतियात से बचाव संभव है। इसका टीका अभी तक विकसित नहीं हुआ है लेकिन इस पर रिसर्च जारी है। ऐसा नहीं है कि इसका प्रकोप पहली बार हुआ है, यह मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स) कोरोना वायरस एवं सीवियर एक्युट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) कोरोना वायरस, के रूप में दो बार पहले भी आ चुका है और इस बार यह 2019 नोवेल कोरोना वायरस के रूप में चिन्हित हुआ है। कोरोना वायरस के संक्रमित एवं संदिग्ध व्यक्ति के सीधे सम्पर्क में आने से बचें क्योंकि यह खांसने से, छींकने से या फिर हाथ से हाथ संपर्क, अधपके, कच्चे मांस खाने से फैलते हैं। खुले हाथों से नाक, आंख और मुंह को छूने से बचें। हाथों को हाइजीन रखें और भीड़-भाड़ एरिया में जाने से बचें। यदि आप किसी संक्रमित व्यक्ति अथवा संदिग्ध व्यक्ति के सम्पर्क में नहीं आए हैं तो डरने की आवश्यकता नहीं है।

सह प्राध्यापक मेडिसीन विभाग डॉ. एस. चंद्रवंशी ने कोरोना वायरस के प्रबंधन पर जानकारी देते हुए बताया कि 6 फरवरी 2020 के अनंतिम आंकड़ों के अनुसार अभी तक विश्व के लगभग 24-25 देशों में कोरोना वायरस के कंफर्म केस मिले हैं। वायरस के सम्पर्क में आने के बाद दो से चौदह दिनों के भीतर इसके लक्षण दिख जाते हैं। वायरस का मैक्जिमम इन्क्युबेशन पीरियड (अधिकतम रोगोद्भवन काल) चौदह दिनों का होता है इसलिए इस अवधि में चिकित्सकों की देखरेख में पूर्ण उपचार करवाना आवश्यक है। मरीज को सिम्पटोमैटिक एवं सपोर्टिव ट्रीटमेंट (लाक्षणिक एवं सहायक रोगोपचार) ही दिए जा सकते हैं। बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ हो तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से अतिशीघ्र संपर्क करें। सावधानी बरतें, सतर्क और अपडेट रहें।

माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सह प्राध्यापक डॉ. निकिता शेरवानी ने कोरोना वायरस की संरचना के बारे में बताते हुए इलाज करने वाले डॉक्टर, नर्सिंग स्टॉफ एवं लैब टेकनीशियन को उपचार के दौरान सावधानी के स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के बारे में बताया। संदिग्ध के थ्रोट स्वाब सैम्पल कलेक्शन के दौरान पीपीई किट को पहनने का सही तरीका, मरीज के उपचार के बाद पहने गये सुरक्षा किट को निकालने का सही तरीका एवं उसको डिस्पोज करने की जानकारी दी। डॉ. निकिता ने मेडिकल कॉलेज से सैम्पल कलेक्शन के उपरांत उसको इंदिरा गांधी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल नागपुर (आईजीजीएमसी) भेजे जाने की व्यवस्था की जानकारी दी। लैब टेक्नोलॉजिस्ट हिमांशु श्रीवास ने पीपीई किट को पहनने के तरीकों का डेमोंस्ट्रेशन दिया। प्रशिक्षण कार्यशाला के अंत में डॉ. पण्डा, डॉ. चंद्रवंशी एवं डॉ. निकिता शेरवानी ने वायरस के रोगकारक लक्षण, प्रबंधन के बारे में पूछे गए प्रश्नों की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम में अस्पताल के संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक डॉ. विनित जैन, उप नर्सिंग दुर्गा दक्षिणी समेत समस्त नर्सिंग इंचार्ज सिस्टर विशेष रूप से उपस्थित रहीं। विदित हो कि चिकित्सालय में सर्दी, खांसी के उपचार के लिये रेस्पिरेटरी मेडिसीन विभाग में विशेष ओपीडी की व्यवस्था की गई है।